किस ग्रह के खराब या कमजोर होने पर किस तरह की बीमारी होती हैं।***************
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Astha Jyotish asansol
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Wp.9333112719. Vastu Guru * Mkpoddar *
सूर्य ग्रह-
शरीर में स्थान-आँख, लंग्स, ह्रदय, नर्वस सिस्टम, हड्डिया, दिमाग, रीड की हड्डी की समस्या।
कमजोर होने पर देता यह असर-अस्त व्यस्त जिंदगी होना। चिंता रहना। अधिकारियो से विवाद होना।रैंक पाने में असफ लता या उन्नती में बाधा।
होते है यह रोग-सर दर्द, दिल के रोग, आँख के रोग, नस में पीड़ा, ब्रेन हेमरेज, पेट के रोग, मानसिक आघात मधुमेह, हैजा, हिचकी, पित्त रोग, टायफ ाईड, हड्डी का बुखार।
यह करे उपाय-आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ।
पहने यह रत्न-4 या 8 केरेट का रूबी धारण करे।
चंद्रमा ग्रह-
शरीर में स्थान-ह्रदय छाती सीना स्त्री जन्य अंग।
धन का नुक्सान। नोकरी का अचानक छुटना। व्यापार में हानि। विदेश यात्रा में रोक।
सीने में दर्द। महिलाओ के रोग। पानी के रोग। लकवा। हाइड्रोफोबिया। ब्लड प्रेशर। कफ।
यह सब तब होता जब चन्द्रमा राहू या शनि से दूषित हो।
उपाय 4 केरेट का मोती। नमक चमक रूद्र का अभिषेक।
मंगल ग्रह
अशांत वातावरण परिवार में। भूमि को लेकर कलह।
खून की कमी होती।
जलना। एलर्जी रोग। खुनी दस्त। अल्सर। लगातार खून बहना।
लाल मूंगा 8 से 12 केरेट का। हनुमान संकटमोचन का पाठ।
बुध ग्रह
पढ़ाई में रूकावट।
लिवर के रोग। जुआ में हानि।गहने और छपाई व्यवसाय में हानि। काली खासी। धन हानि। मिरगी। थकावट। नाड़ी में खराबी। हिस्टीरिया। संतुलन खोना। बेचेंन रहना।
पन्ना सोने की अंगुठी में 5 केरेट का पहने, या गणेश अथर्वशीष का पाठ। या तंत्रोक्त पाठ प्रतिदिन करे।
गुरु ग्रह
ज्ञान। धन। उच्चता। तत्व ज्ञान। सोभाग्य। स्त्री के लिए विवाह का कारक।
बाल उडऩा। हर्निया रोग। थाईराईड। मोटापा। पीठ दर्द। लिवर के रोग।
पढ़ाई में मन नहीं लगना। धैर्य खोना। झूट बोलना।
4 से 6 केरेट का पुखराज सोने की अंघूथि में पहने।
शुक्र गूह
पुरुष के लिए स्त्री कारक। भवन और वहां सुख का कारन। रहन सहन के स्तर का कारण। कलाकार बनाने में सहायक।
खऱाब हो तो मधूमेह। सूजन। पुरुस्तव रोग। वासना में डूबे रहना। शांति भंग होना।
30 से 40 सेंट का हिरा पहनाये।
शनि ग्रह
जीविका का कारक। सुख में कमी। लंबी आयु। वृद्ध दिखाता।
होती हैं यह बीमारियां-दमा, सास की बीमारी, उन्माद, गठिया, संधिपात, जोड़ो का दर्द, वातरोग, स्कीन रोग, कोकीन पेन।
इस ग्रह के खऱाब होने पर गरीबी, मजदुर की जिंदगी, कार्य क्षेत्र में बाधा, लंबी बीमारी, चिड़चिड़ापन रहता हैं।
यदि शनि और सूर्य साथ हो तो हलके नीली कलर का माणिक पहने। यदि वृषभ तुला मकर कुम्भ लग्न हो तो नीलम पहनाये। मेष, ककर्, सिंह, वृश्चिक लग्न को भूल कर भी नीलम या नीला कलर का कपड़ा न पहनाये।
राहू ग्रह
होती यह बीमारियां-पेट के रोग, खतरनाक व अजीब ख्याल, ट्यूमर रोग, स्त्री की योनि में रोग, रहस्य की और आकर्षण। अपराध की प्रवृति।
खऱाब हो तो नोकरी में बार-बार बदलाव, कर्ज की वृद्धि, जुआ खेलना,शराब की आदत, ड्रग्स, अन्य स्त्री के प्रति आकर्षित रहना, धोका देने में माहिर।
ऐसे लोग शिव आराधना करे।
केतु ग्रह
शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द। हमेशा बुखार रहना। गुप्त रोग। पाईल्स। और वो बीमारी जो डॉक्टर पकड़ ही नहीं पाये।
आदत-सिगरट का शोक। भय-ऊंचे स्थान से गिरने का भय। जहरीले जानवर के काटने का भय। जिनका केतु गृह कमजोर या खराब हो वे गणेश आराधना करे।
*****Jai Mata di *****
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सूर्य ग्रह-
शरीर में स्थान-आँख, लंग्स, ह्रदय, नर्वस सिस्टम, हड्डिया, दिमाग, रीड की हड्डी की समस्या।
कमजोर होने पर देता यह असर-अस्त व्यस्त जिंदगी होना। चिंता रहना। अधिकारियो से विवाद होना।रैंक पाने में असफ लता या उन्नती में बाधा।
होते है यह रोग-सर दर्द, दिल के रोग, आँख के रोग, नस में पीड़ा, ब्रेन हेमरेज, पेट के रोग, मानसिक आघात मधुमेह, हैजा, हिचकी, पित्त रोग, टायफ ाईड, हड्डी का बुखार।
यह करे उपाय-आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ।
पहने यह रत्न-4 या 8 केरेट का रूबी धारण करे।
चंद्रमा ग्रह-
शरीर में स्थान-ह्रदय छाती सीना स्त्री जन्य अंग।
धन का नुक्सान। नोकरी का अचानक छुटना। व्यापार में हानि। विदेश यात्रा में रोक।
सीने में दर्द। महिलाओ के रोग। पानी के रोग। लकवा। हाइड्रोफोबिया। ब्लड प्रेशर। कफ।
यह सब तब होता जब चन्द्रमा राहू या शनि से दूषित हो।
उपाय 4 केरेट का मोती। नमक चमक रूद्र का अभिषेक।
मंगल ग्रह
अशांत वातावरण परिवार में। भूमि को लेकर कलह।
खून की कमी होती।
जलना। एलर्जी रोग। खुनी दस्त। अल्सर। लगातार खून बहना।
लाल मूंगा 8 से 12 केरेट का। हनुमान संकटमोचन का पाठ।
बुध ग्रह
पढ़ाई में रूकावट।
लिवर के रोग। जुआ में हानि।गहने और छपाई व्यवसाय में हानि। काली खासी। धन हानि। मिरगी। थकावट। नाड़ी में खराबी। हिस्टीरिया। संतुलन खोना। बेचेंन रहना।
पन्ना सोने की अंगुठी में 5 केरेट का पहने, या गणेश अथर्वशीष का पाठ। या तंत्रोक्त पाठ प्रतिदिन करे।
गुरु ग्रह
ज्ञान। धन। उच्चता। तत्व ज्ञान। सोभाग्य। स्त्री के लिए विवाह का कारक।
बाल उडऩा। हर्निया रोग। थाईराईड। मोटापा। पीठ दर्द। लिवर के रोग।
पढ़ाई में मन नहीं लगना। धैर्य खोना। झूट बोलना।
4 से 6 केरेट का पुखराज सोने की अंघूथि में पहने।
शुक्र गूह
पुरुष के लिए स्त्री कारक। भवन और वहां सुख का कारन। रहन सहन के स्तर का कारण। कलाकार बनाने में सहायक।
खऱाब हो तो मधूमेह। सूजन। पुरुस्तव रोग। वासना में डूबे रहना। शांति भंग होना।
30 से 40 सेंट का हिरा पहनाये।
शनि ग्रह
जीविका का कारक। सुख में कमी। लंबी आयु। वृद्ध दिखाता।
होती हैं यह बीमारियां-दमा, सास की बीमारी, उन्माद, गठिया, संधिपात, जोड़ो का दर्द, वातरोग, स्कीन रोग, कोकीन पेन।
इस ग्रह के खऱाब होने पर गरीबी, मजदुर की जिंदगी, कार्य क्षेत्र में बाधा, लंबी बीमारी, चिड़चिड़ापन रहता हैं।
यदि शनि और सूर्य साथ हो तो हलके नीली कलर का माणिक पहने। यदि वृषभ तुला मकर कुम्भ लग्न हो तो नीलम पहनाये। मेष, ककर्, सिंह, वृश्चिक लग्न को भूल कर भी नीलम या नीला कलर का कपड़ा न पहनाये।
राहू ग्रह
होती यह बीमारियां-पेट के रोग, खतरनाक व अजीब ख्याल, ट्यूमर रोग, स्त्री की योनि में रोग, रहस्य की और आकर्षण। अपराध की प्रवृति।
खऱाब हो तो नोकरी में बार-बार बदलाव, कर्ज की वृद्धि, जुआ खेलना,शराब की आदत, ड्रग्स, अन्य स्त्री के प्रति आकर्षित रहना, धोका देने में माहिर।
ऐसे लोग शिव आराधना करे।
केतु ग्रह
शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द। हमेशा बुखार रहना। गुप्त रोग। पाईल्स। और वो बीमारी जो डॉक्टर पकड़ ही नहीं पाये।
आदत-सिगरट का शोक। भय-ऊंचे स्थान से गिरने का भय। जहरीले जानवर के काटने का भय। जिनका केतु गृह कमजोर या खराब हो वे गणेश आराधना करे।
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