Friday, 16 August 2019

मूल नक्षत्र और प्रभाव

गण्डमूल अश्विनी नक्षत्र का प्रभाव
Astha Jyotish. We.9333112719. Vastu Guru Mkpoddar.
मेष राशि में अश्विनी नक्षत्र शून्य अंश से प्रारम्भ होकर 13:20 अंश  तक तक रहता है जन्म के समय यदि चंद्रमा 2 : 30 अंशों के मध्य अर्थात प्रथम चरण में स्थित हो तो गण्डमूल नक्षत्र में जन्म माना जाता है। अश्विनी नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्म होने पर जातक को अपने जीवन काल में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने पर बच्चा पिता के लिए कष्टकारी होता है परन्तु हमेशा नहीं।

प्रथम चरण – पिता को शारीरिक कष्ट एवं  हानि।

दूसरे चरण —परिवार में सुख शांति ।

तीसरे चरण — सरकार से लाभ  तथा मंत्री पद का लाभ ।

चतुर्थ चरण —परिवार एवं जातक को राज सम्मान तथा ख्याति ।

गण्डमूल मघा नक्षत्र का प्रभाव

सिंह राशि के आरम्भ के साथ ही मघा नक्षत्र शुरु होता है। परन्तु सिंह राशि में जब चंद्रमा शून्य से लेकर दो अंश और बीस मिनट अर्थात प्रथम चरण में रहता है तब ही गंडमूल नक्षत्र माना गया है।

प्रथम चरण  — माता को कष्ट होता है।

दूसरे चरण –    पिता को कोई कष्ट या हानि  होता है।

तीसरे चरण –  जातक सुखी जीवन व्यतीत करता है।

चौथे चरण –    जातक को धन विद्या का लाभ, कार्य क्षेत्र में स्थायित्व प्राप्त होता है।

गण्डमूल मूल नक्षत्र का प्रभाव

जब चंद्रमा धनु राशि में शून्य से तेरह अंश और बीस मिनट के मध्य स्थित होता है तब यह मूल नक्षत्र में आता है परन्तु जव चन्द्रमा शून्य अंश से तीस मिनट अर्थात प्रथम चरण में हो तो गण्ड मूल में उत्पन्न जातक कहलाता है।

प्रथम चरण –  पिता के जीवन के लिए घातक।

दूसरे चरण – माता के लिए अशुभ, को कष्ट।

तीसरे चरण – -धन नाश।

चतुर्थ चरण – जातक सुखी तथा समृद्ध जीवन व्यतीत करता है।

गण्डमूल आश्लेषा नक्षत्र का प्रभाव

जब चंद्रमा जन्म के समय कर्क राशि में 16 अंश और 40 मिनट से 30 अंश के मध्य स्थित होता है तब आश्लेषा नक्षत्र कहलाता है। परन्तु जव चन्द्रमा  छब्बीस अंश से चालीस मिनट अर्थात चतुर्थ चरण में हो तो गण्डमूल में उत्पन्न जातक कहलाता है।

प्रथम चरण —शांति और सुख मिलेगा।

दूसरे चरण –  धन नाश,बहन-भाईयों को कष्ट।

तृतीय  चरण — माता को कष्ट।

चतुर्थ चरण —  पिता को कष्ट, आर्थिक हानि।
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गण्डमूल ज्येष्ठ नक्षत्र का प्रभाव

जब चंद्रमा जन्म के समय  वृश्चिक राशि में 16 अंश और 40 मिनट से 30 अंश के मध्य स्थित होता है तब ज्येष्ठ नक्षत्र कहलाता है। परन्तु जव चन्द्रमा  छब्बीस अंश और चालीस मिनट अर्थात चतुर्थ चरण में हो तो गण्डमूल में उत्पन्न जातक कहलाता है।

प्रथम चरण – बड़े भाई-बहनों को कष्ट।

दूसरे चरण –  छोटे भाई – बहनों के लिए अशुभ।

तीसरे चरण –  माता को कष्ट।

चतुर्थ चरण – स्वयं का नाश।

गण्डमूल रेवती नक्षत्र का प्रभाव

मीन राशि में 16 अंश 40 मिनट से 30 अंश तक रेवती नक्षत्र होता है। जिस समय चंद्रमा मीन राशि में 26 अंश और 30  मिनट के मध्य रहता है तो गंडमूल नक्षत्र वाला जातक कहलाता है।

प्रथम चरण  – जीवन सुख और आराम में व्यतीत होगा।

दूसरे चरण – मेहनत एवं  बुद्धि से नौकरी में उच्च पद  प्राप्त।

तीसरे चरण –  धन-संपत्ति का सुख के साथ धन हानि  भी।

चतुर्थ चरण -स्वयं के लिए कष्टकारी  होता है।

मूल नक्षत्र | गण्डमूल नक्षत्र शान्ति के उपाय /
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ज्योतिष और वास्तु समाधान।
Vastu Guru Mkpoddar
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यदि बच्चा का जन्म गंडमूल नक्षत्र में हुआ है तो उसके पिता को चाहिए कि अपने बच्चे का चेहरा
न देखे और तुरंत पिता कि जेब में फिटकड़ी का टुकड़ा रखवा देना चाहिए ततपश्चात २७ दिन तक प्रतिदिन २७ मूली पत्तो वाली बच्चे के सिर कि तरफ रख देना चाहिए और पुनः उसे दुसरे दिन चलते पानी में बहा देना चाहिए।  यह क्रिया २७ दिनों तक नियमित करना चाहिए। इसके बाद २७ वे दिन विधिवत पूजा करके बच्चे को देखना चाहिए।
जिस जन्म नक्षत्र में जन्म हुआ है उससे सम्बन्धित देवता तथा ग्रह की पूजा करनी चाहिए। इससे नक्षत्रों के नकारात्मक प्रभाव में कमी आती है।
अश्विनी, मघा, मूल नक्षत्र में जन्में जातकों को गणेशजी की पूजा अर्चना करने से लाभ मिलता है।
आश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र में जन्में जातकों के लिए बुध ग्रह की अराधना करना चाहिए तथा  बुधवार के दिन हरी वस्तुओं जैसे  हरा धनिया, हरी सब्जी, हरा घास इत्यादि का दान करना चाहिए।
गंडमूल में जन्में बच्चे के जन्म के ठीक 27वें दिन गंड मूल शांति पूजा करवाई जानी चाहिए, इसके अलावा ब्राह्मणों को दान, दक्षिणा देने और उन्हें भोजन करवाना चाहिए। इसके लिए —
नक्षत्र का मन्त्र जाप
27 कुओं का जल,
27 तीर्थ स्थलों के कंकण,
समुद्र का फेन,
27 छिद्र का घड़ा,
27 पेड़ के पत्ते,
07 निर्धारित अनाज
07 खेडो की मृतिका

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