Thursday, 29 August 2019

लड़का कैसे पैदा हो चमत्कार घड़ेलु उपाय

लडक़ा पैदा करने के लिए जरूरी है इसके बारे में जानना पढें और समझें कैसे सफल होंगे ।
Astha Jyotish,  Vastu Master Mkpoddar.

सुक्राणु दो टाइप के होते है जिन्हें साइंस की भाषा में क्रोमोजोम (chromosome) कहते है जो X क्रोमोजोम और Y क्रोमोजोम होते है पुरुष में ये दोनों तरह के X और Y क्रोमोजोम पाए जाते है जबकि स्त्री के अंडाशय में केवल दो XX क्रोमोसोम ही होते हैं जब सम्भोग के बाद पुरुष के वीर्य का Y क्रोमोजोम महिला के अंडे (eggs) से मिलता है तब लड़का पैदा होता है और यदि गर्भाधान के समय यदि स्त्री के  X क्रोमोसोम पुरुष के X क्रोमोसोम से मिल जाये तो लड़की का जन्म होता है।

इस सर्वमान्य वैज्ञानिक तथ्य से यह साबित होता है की लड़की या लड़के के जन्म के लिए पुरुष ही जिम्मेदार होता है। किसी स्त्री को लड़के को जन्म न देने के लिए दोषी ठहराना सर्वथा अनुचित है।

पुत्र प्राप्ति के लिए गर्भ धारण करने का तरीका ।
पीरियड (Period) की सही गिनती करें मासिक धर्म (Period) शुरू होने वाले दिन को पहला दिन गिनना चाहिए।

पुत्र प्राप्ति के लिए मासिक धर्म (Period) शुरू होने वाले दिन से गिन कर चौथी, छठी, 8वीं, 10वीं, 12वीं, 14वीं और 16वीं रात को सम्भोग करना चाहिए।

जबकि पुत्री प्राप्ति के लिए 5वीं, 7वीं, 9वीं, 11वीं, 13वीं तथा 15वीं रात को सम्भोग करना चाहिए।

अगर आपका मासिक धर्म (Period 10 April) को रात 9 बजे शुरू हुआ है तो 11 April को रात 9 बजे आपके मासिक धर्म का एक दिन पूरा होगा।
ध्यान रखें, आप 11 April को दूसरा दिन न गिनें। पीरियड शुरू होने के 24 घंटे के बाद हीं दूसरा दिन गिनें।
अगर आपको बेटा चाहिए तो जबतक गर्भ ठहर नहीं जाता है, तबतक 5वीं, 7वीं, 9वीं, 11वीं, 13वीं तथा 15वीं रात को Sex नहीं करें।
उसी तरह अगर आपको बेटी चाहिए तो चौथी, छठी, 8वीं, 10वीं, 12वीं, 14वीं और 16वीं रात को गर्भधारण होने से पहले Sex न करें।
आपकी गिनती में 1 भी घंटे की गलत नहीं होनी चाहिए। गलत गिनती आपको इच्छित परिणाम प्राप्त नहीं होने देगी।
जाने: जल्दी और आसानी से गर्भवती होने के तरीके।
लड़का पैदा करने के घरेलू उपाय है पेय पदार्थ

पुत्र की प्राप्ति के लिए स्त्री के साथ संभोग करने से 15 से 30 मिनट पहले 2-3 कप चाय या तेज कॉफी पीनी चाहिए। ऐसा इसलिए करना चाहिए ताकि लड़का पैदा करने के लिए जरूरी Y शुक्राणुओं की गति तेज हो सके और उनके जिंदा रहने की शक्ति बनी रहती है। इसी तरह लड़का पैदा करने के लिए स्त्री को भी संभोग करने से पहले कॉफी का सेवन करना चाहिए। अगर महिला न ले पाए तो पुरुष को तो कॉफी आदि पी ही लेनी चाहिए। संभोग करने के बाद स्त्री को ठंडा पानी पीना चाहिए।

संभोग के समय आसन –

लड़के की प्राप्ति के लिए पुरुष को अपने लिंग को पत्नी के पीछे से योनि में प्रवेश कराना चाहिए इससे शुक्राणु सीधे गर्भाशय के द्वार पर पहुच जाते है। महिला के गर्भाशय का मार्ग योनि की अपेक्षा अधिक क्षारीय होता है। योनि मार्ग में मौजूद अम्लीय वातावरण के कारण ही पुरुष के (y) शुक्राणु नष्ट हो जाते है।

बार-बार संभोग करना है लड़का पैदा करने के घरेलू उपाय

लडका पैदा करने के लिए स्त्री और पुरुष दोनों को ऊपर बताये गए दिनों के अनुसार संभोग करना चाहिए यानि की एक रात में कम से कम 2-3 बार तो इस क्रिया को करना ही चाहिए। ऐसा करने पर शुक्राणुओं की संख्यां में बढ़ोतरी होती है और (Y) शुक्राणुओं को लाभ मिलता है जिससे पुरुष का y और महिला का x सुक्राणु मिलकर पुत्र का निर्माण प्रारंभ करते हैं।

लड़का पैदा करने के घरेलू उपाय में सामिल है काम-उत्तेजना

यदि पति और पत्नी दोनों संतान के रूप में पुत्र पैदा करना चाहते हैं तो लड़का पैदा करने के लिए संभोग क्रिया करते समय पुरुष के संतुष्ट होने से पहले पत्नी को उत्तेजना की चरमसीमा (चरम शुख ) पर पहुंचना चाहिए। ऐसा अगर संभोग करते समय हर बार हो तो यह लड़का पैदा होने की संभावना को बढ़ा देता है।

लड़के की चाह है तो रहे तनाव मुक्त /
पति और पत्नी को अगर लड़के की चाहत है तो उन दोनों को संभोग करते समय दोनों को तनाव मुक्त रहना चाहिए और अपना सारा ध्यान संभोग क्रिया पर लगाना चाहिए। न की बच्चे के बारे में सोचने में क्योकि यह पल आपके लिए भी खास होता है जिसका पूरा आनदं आपको लेना चाहिए।


Saturday, 24 August 2019

Morning motivation

आज कल  भागदौड जीवन इतना व्यस्त हो गई है कि हम अपने खुद के लिये समय नहीं निकाल पा रहे हैं ।
हम बताने जा रहे हैं:-
                           सुफ़ूर्ती कैसे लायें अपने जीवन में ।
आप शुबह सोकर उठते ही, सबसे पहले (बेड)विस्तर पर बैठ कर पूरब की ओर मुख करें और अपने दौनों
हाथ से अपने दौनों आंख को बंद करें, और आप सूर्य की प्रतिबिम्व को अपनी मन में कल्पना करें । की सूर्य की रोशनी आपके भीतर प्रवेश कर रही है । ये कर्म रोज 1 मिनट करें। आपमें नई ऊर्जा आयेगी और आप पुरा दिन ऊर्जावान रहेगे।
                           पसंद आये तो दोस्तों में share जरुर करें । om shanti******

Thursday, 22 August 2019

तन्त्र जड़ी से बदल जायेगी आपकी किस्मत tantra or kismat

Vastu Master Mkpoddar........
आयुर्वेद के अलावा भारत की स्थानीय संस्कृति में कई चमत्कारिक पौधों के बारे में पढ़ने और सुनने को मिलता है। कहते हैं कि एक ऐसी जड़ी है जिसको खाने से जब तक उसका असर रहता है, तब तक व्यक्ति गायब रहता है। एक ऐसी भी जड़ी-बूटी है जिसका सेवन करने से व्यक्ति को भूत-भविष्‍य का ज्ञान हो जाता है। कुछ ऐसे भी पौधे हैं जिनके बल पर स्वर्ण बनाया जा सकता है। इसी तरह कहा जाता है कि धन देने वाला पौधा जिनके भी पास है, वे धनवान ही नहीं बन सकते बल्कि वे कई तरह की चमत्कारिक सिद्धियां भी प्राप्त कर सकते हैं।
क्या सचमुच होते हैं इस तरह के पौधे व जड़ी-बूटियां जिनको घर या आंगन में लगाने से आपके बुरे दिन समाप्त और अच्छे दिन शुरू हो सकते हैं? कई शास्त्रों में यह पढ़ने को मिलता है कि जड़ी-बूटियों के माध्यम से धन, यश, कीर्ति, सम्मान आदि सभी कुछ पाया जा सकता है। हो सकता है कि आपके आसपास ही हो इसी तरह की जड़ी बूटियां। यदि आप इन्हें घर में ले आएं तो आपको हर तरह की सुख और सुविधाएं प्राप्त हो सकती हैं।

दरअसल, हम आपको बता रहे हैं ऐसे पौधों की जड़ों के बारे में जिनके प्रयोग से आपकी किस्मत बदल सकते हैं। हालांकि यह जड़े किसी जानकार से पूछकर ही घर में लाएं। यहां जो जानकारी दी जा रही है वह भिन्न भिन्न स्रोत से एकत्रित की गई है। हालांकि इसमें कितनी सचाई है यह बताना मुश्किल है। अगले पन्ने पर जानिये इन जड़ों के बारे में...

* बहेड़ा की जड़:- पुष्य नक्षत्र में बहेड़ा वृक्ष की जड़ तथा उसका एक पत्ता लाकर पैसे रखने वाले स्थान पर रख लें। इस प्रयोग से घर में कभी भी दरिद्रता नहीं रहेगी। इसके अलावा पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में बेहड़े का पत्ता लाकर घर में रखें, घर पर ऊपरी हवाओं के प्रभाव से मुक्त रहेगा।

*मंगल्य : मंगल्य नामक जड़ी भी तांत्रिक क्रियानाशक होती है।

* धतूरे की जड़:- धतूरे की जड़ के कई तां‍त्रिक प्रयोग किए जाते हैं। इसे अपने घर में स्थापित करके महाकाली का पूजन कर 'क्रीं' बीज का जाप किया जाए तो धन सबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
* धतूरे की जड़ : अश्लेषा नक्षत्र में धतूरे की जड़ लाकर घर में रखें, घर में सर्प नहीं आएगा और आएगा भी तो कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
* काले धतूरे की जड़:- इसका पौधा सामान्य धतूरे जैसा ही होता है, हां इसके फूल अवश्य सफेद की जगह गहरे बैंगनी रंग के होते हैं तथा पत्तियों में भी कालापन होता है। इसकी जड़ को रविवार, मंगलवार या किसी भी शुभ नक्षत्र में घर में लाकर रखने से घर में ऊपरी हवा का असर नहीं होता, सुख -चैन बना रहता है तथा धन की वृद्धि होती है।

* मदार की जड़:- रविपुष्प नक्षत्र में लाई गई मदार की जड़ को दाहिने हाथ में धारण करने से आर्थिक समृधि में वृद्धि होती हैं।
* मदार की जड़:- रविपुष्प में उसकी मदार की जड़ को बंध्या स्त्री भी कमर में बंधे तो संतान होगी।
* मदार की जड़:- कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय हेतु आर्द्रा नक्षत्र में आक की जड़ लाकर तावीज की तरह गले में बांधें।

* हत्था जोड़ी:- हत्था जोड़ी का मुकदमा, शत्रु संघर्ष, दरिद्रता आदि के निवारण में इसका प्रयोग किया जाता है। तांत्रिक विधि में इसके वशीकरण के उपयोग किए जाते हैं। सिद्ध करने के बाद इसे लाल रंग के कपड़े में बांधकर घर में किसी सुरक्षित स्थान में अथवा तिजोरी में रख दिया जाता है। इससे आय में वृद्घि होती है और सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिलती है।

* बेला की जड़:-विवाह की समस्या दूर करने के लिए बेला के फूलों का प्रयोग किया जाता है। इसकी एक और जाति है जिसको मोगरा या मोतिया कहते हैं। बेला के फूल सफेद रंग के होते हैं। मोतिया के फूल मोती के समान गोल होते हैं। महिला को गुरु की जड़ और पुरुष को शुक्र की जड़ अपने पास रखनी चाहिए।

* चमेली की जड़:- अनुराधा नक्षत्र में चमेली की जड़ गले में बांधें, शत्रु भी मित्र हो जाएंगे। विष्णुकांता का पौधा भी शत्रुनाशक होता है।
* चंपा की जड़:- हस्त नक्षत्र में चंपा की जड़ लाकर बच्चे के गले में बांधें। इस उपाय से बच्चे की प्रेत बाधा तथा नजर दोष से रक्षा होगी।
* शंखपुष्पी की जड़:- शंखपुष्पी की जड़ रवि-पुष्य नक्षत्र में लाकर इसे चांदी की डिब्बी में रख कर घर की तिरोरी में रख लें। यह धन और समृद्धि दायक है।
* तुलसी की जड़:- पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में तुलसी की जड़ लाकर मस्तिष्क पर धारण करें। इससे अग्निभय से मुक्ति मिलेगी।
* दूधी की जड़:- सुख की प्राप्ति के लिए पुनर्वसु नक्षत्र में दूधी की जड़ लाकर शरीर में लगाएं।
* नीबू की जड़:- उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में नीबू की जड़ लाकर उसे गाय के दूध में मिलाकर निःसंतान स्त्री को पिलाएं। इस प्रयोग से उसे पुत्र की प्राप्ति होगी।
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Wednesday, 21 August 2019

vastujyotish-samadhan

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वनस्पति तंत्र टोट्गे vanaspti tantra totge

              तांत्रोत्क वनस्पति टोटके.
Astha Jyotish.  Vastu Guru-Mkpoddar. Wp.9333112719.
छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं, पर उनकी विधिवत् जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं।हमारे आसपास पाए जाने वाले विभिन्न पेड़-पौधों के पत्तों, फलों आदि का टोटकों के रूप में उपयोग भी हमारी सुख-समृद्धि की वृद्धि में सहायक हो सकता है। यहां कुछ ऐसे ही सहज और सरल उपायों का उल्लेख प्रस्तुत है, जिन्हें अपना कर पाठकगण लाभ उठा सकते हैं।

बिल्व पत्र : अश्विनी नक्षत्र वाले दिन एक रंग वाली गाय के दूध में बेल के पत्ते डालकर वह दूघ निःसंतान स्त्री को पिलाने से उसे संतान की प्राप्ति होती है।

अपामार्ग की जड़ : अश्विनी नक्षत्र में अपामार्ग की जड़ लाकर इसे तावीज में रखकर किसी सभा में जाएं, सभा के लोग वशीभूत होंगे।

नागर बेल का पत्ता : यदि घर में किसी वस्तु की चोरी हो गई हो, तो भरणी नक्षत्र में नागर बेल का पत्ता लाकर उस पर कत्था लगाकर व सुपारी डालकर चोरी वाले स्थान पर रखें, चोरी की गई वस्तु का पला चला जाएगा।

संखाहुली की जड़ : भरणी नक्षत्र में संखाहुली की जड़ लाकर तावीज में पहनें तो विपरीत लिंग वाले प्राणी आपसे प्रभावित होंगे।

आक की जड़ : कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय हेतु आर्द्रा नक्षत्र में आक की जड़ लाकर तावीज की तरह गले में बांधें।

दूधी की जड़ : सुख की प्राप्ति के लिए पुनर्वसु नक्षत्र में दूधी की जड़ लाकर शरीर में लगाएं।

शंख पुष्पी : पुष्य नक्षत्र में शंखपुष्पी लाकर चांदी की डिविया में रखकर तिजोरी में रखें, धन की वृद्धि होगी।

बरगद का पत्ता : अश्लेषा नक्षत्र में बरगद का पत्ता लाकर अन्न भंडार में रखें, भंडार भरा रहेगा।

धतूरे की जड़ : अश्लेषा नक्षत्र में धतूरे की जड़ लाकर घर में रखें, घर में सर्प नहीं आएगा और आएगा भी तो कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा।

बेहड़े का पत्ता : पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में बेहड़े का पत्ता लाकर घर में रखें, घर ऊपरी हवाओं के प्रभाव से मुक्त रहेगा।

नीबू की जड़ : उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में नीबू की जड़ लाकर उसे गाय के दूध में मिलाकर निःसंतान स्त्री को पिलाएं, उसे पुत्र की प्राप्ति होगी।

चंपा की जड़ : हस्त नक्षत्र में चंपा की जड़ लाकर बच्चे के गले में बांधें, बच्चे की प्रेत बाधा तथा नजर दोष से रक्षा होगी।

चमेली की जड़ : अनुराधा नक्षत्र में चमेली की जड़ गले में बांधें, शत्रु भी मित्र हो जाएंगे।

काले एरंड की जड़ : श्रवण नक्षत्र में एरंड की जड़ लाकर निःसंतान स्त्री के गले में बांधें, उसे संतान की प्राप्ति होगी।

तुलसी की जड़ : पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में तुलसी की जड़ लाकर मस्तिष्क पर रखें, अग्निभय से मुक्ति मिलेगी।

अपामार्ग या चिरचिंटा लटजीरा तंत्र:

इस वनस्पति को रवि-पुष्य नक्षत्र मे लाकर निम्न प्रयोग कर सकते हैं।

1. इसकी जड़ को जलाकर भस्म बना लें। फिर इस भस्म का नित्य गाय के दूध के साथ सेवन करें, संतान सुख प्राप्त होगा।

2. लटजीरे की जड़ अपने पास रखने से धन लाभ, समृद्धि और कल्याण की प्राप्ति होती है।

3. इसकी ढाई पत्तियों को गुड़ में मिलाकर दो दिन तक सेवन करने से पुराना ज्वर उतर जाता है।

4. इसकी जड़ को दीपक की भांति जला कर उसकी लौ पर किसी छोटे बच्चे का ध्यान केन्द्रित कराएं तो उस बच्चे को बत्ती की लौ में वांछित दृश्य दिखाई पड़ेंगे।

5. इसकी जड़ का तिलक माथे पर लगाने से सम्मोहन प्रभाव उत्पन्न हो जाता है।

6. इसकी डंडी की दातून 6 माह तक करने से वाक्य सिद्धि होती है।

7. इसके बीजों को साफ करके चावल निकाल लें और दूध में इसकी खीर बना कर खाएं, भूख का अनुभव नहीं होगा।

ग्रह पीड़ा निवारक मूल-तंत्र:

सूर्य: यदि कुंडली में सूर्य नीच का हो या खराब प्रभाव दे रहा हो तो बेल की जड़ रविवार की प्रातः लाकर उसे गंगाजल से धोकर लाल कपड़े या ताबीज में धारण करने से सूर्य की पीड़ा समाप्त हो जाती है। ध्यान रहे, बेल के पेड़ का शनिवार को विधिवत पूजन अवश्य करें।

चंद्र: यदि चंद्र अनिष्ट फल दे रहा हो तो सोमवार को खिरनी की जड़ सफेद डोरे में बांध कर धारण करें। रविवार को इस वृक्ष का विधिवत पूजन करें।

मंगल: यदि मंगल अनिष्ट फल दे रहा हो तो अनंत मूल या नागफनी की जड़ लाकर मंगलवार को धारण करें।

बुध: यदि बुध अनिष्ट फल दे रहा हो तो विधारा की जड़ बुधवार को हरे डोरे में धारण करें।

गुरु: यदि गुरु अनिष्ट फल दे रहा हो तो हल्दी या मारग्रीव केले (बीजों वाला केला) की जड़ बृहस्पतिवार को धारण करें।

शुक्र: यदि शुक्र अनिष्ट फल दे रहा हो तो अरंड की जड़ या सरफोके की जड़ शुक्रवार को सफेद डोरे में धारण करें।

शनि: यदि शनि अनिष्ट फल दे रहा हो तो बिच्छू (यह पौधा पहाड़ों पर बहुतायत में पाया जाता है) की जड़ काले डोरे में शनिवार को धारण करें।

राहु: यदि राहु अनिष्ट फल दे रहा हो तो सफेद चंदन की जड़ बुधवार को धारण करे//

Friday, 16 August 2019

रंग और ब्यबसाय-color or business

हर व्यवसाय के लिए है एक चुनिन्दा रंग जो दिलाता है तरक्की
Vastu Solutions easy
*Vastu guru Mkpoddar *
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वास्तु शास्त्र जितना विस्तृत है उतना ही फायदेमंद भी है। वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि आपकी दूकान या शोरूम की आंतरि क और बाह्य व्यवस्था होती है तब अवश्य ही शुभ फल की प्राप्ति होगी। वास्तु का सिद्धांत जीवन के सभी क्षेत्रों में लागू होता है। वह स्थान जहाँ जाकर हम प्रत्येक दिन काम करते है उस स्थान का वास्तु तो बहुत जरूरी है। स्पष्ट है कि वास्तु के सिद्धांत सिर्फ घर को ही नहीं अपितु दुकान आदि को भी प्रभावित करते हैं। दुकान में भी वास्तु का विशेष महत्व है। यदि आपकी दुकान वास्तु सम्मत है तो हर दृष्टि से शुभ परिणाम देता है।

वास्तु में ऐसे अनेक उपाय बताए गए हैं जिनके माध्यम से आपके व्यवसाय में तरक्की हो सकती है जैसे कि किस व्यवसाय के लिए कौन से रंग की दुकान उपयुक्त रहेगी? रंग यदि व्यवसाय के अनुकूल हो तो बहुत ही जल्दी उन्नति होती है और सफलता की गाड़ी सरपट दौड़ने लगती है। जानिए किस व्यवसाय के लिए कौन से रंग की दुकान उपयुक्त रहेगी। आइये जानते हैं किस तरह का रंग सही रहेगा।

* यदि आपकी ज्वैलरी की दुकान है, तो आपको अपनी दुकान में गुलाबी, सफेद या आसमानी कलर करवाना चाहिए। इससे आपको लाभ होगा।

* अगर आपका किराना व्यवसाय है तो आपके लिए अपनी दुकान में हल्का गुलाबी, आसमानी तथा सफेद रंग करवाना शुभ रहेगा।

* अगर आपकी इलेक्ट्रिक या इलेक्ट्रॉनिक्स की शॉप है तो आपको अपनी शॉप में सफेद, गुलाबी, आसमानी या हल्का हरा रंग करवाना चाहिए।

* ब्यूटी पार्लर में सफेद अथवा आसमानी रंग करवाना शुभ रहता है।

* लाइब्रेरी या स्टेशनरी शॉप में पीला, आसमानी अथवा गुलाबी कलर करवाना अच्छा रहेगा। इससे आपका व्यवसाय चल निकलेगा।

* अगर आपकी गिफ्ट शॉप या जनरल स्टोर है तो उसके लिए हल्का गुलाबी, सफेद, पीला या नीला रंग लकी रहेगा।

* रेडिमेड गारमेंट या अन्य किसी प्रकार के वस्त्रों की दुकान में हरा, हल्का पीला या आसमानी रंग करवाना चाहिए।

* मेडिकल, क्लिनिक या अन्य कोई चिकित्सा से संबंधित संस्थान हो तो उसके लिए गुलाबी, आसमानी अथवा सफेद रंग शुभ रहता है।

Rudrax or labh

शिवपुराण में बताए हैं रुद्राक्ष के 14 प्रकार, जानें इनके पहनने से क्या मिलता है फल...
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इसको पहनने से हृदय संबंधित बीमारियां, तनाव, चिंता, रक्त दबाव आदि को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। शिवपुराण की विद्येश्वर संहिता में रुद्राक्ष के 14 प्रकार बताए गए हैं। जानते हैं इसे धारण करने की विधि और रुद्राक्ष (Rudraksh) के प्रकार के बारे में…

रुद्राक्ष को हमेशा पहना जा सकता है। हालांकि, कुछ लोग किसी के अंतिम संस्कार में जाने पर या जब किसी नवजात शिशु के जन्म लेने पर इसे धारण नहीं करते हैं। यह माना जाता है कि चूंकि यह एक उच्च ऊर्जा का संवाहक है इसलिए इसे ऐसे स्थानों में पहनना सही नहीं होता है। रुद्राक्ष को कभी भी अशुद्ध या मिट्टी लगे हाथों से नहीं छूना चाहिए। यदि आप प्रतिदिन इसे धारण नहीं कर सकते तो इसे अपने पूजा कक्ष में एक स्वच्छ छोटे से बॉक्स में रखकर इसकी रोज पूजा करें।

हमेशा रूद्राक्ष को अपने परिश्रम से प्राप्त पैसे से खरीदें इसे खरीदने के लिए पैसे उधार न लें। अगर आप रुद्राक्ष मनका के नियमित पहनने वाले हैं तो स्वच्छ और पवित्र है।

1, एक मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव का स्वरूप है। जहां इसकी पूजा होती है, वहां से माता लक्ष्मी दूर नहीं जातीं। यानी जो इस रुद्राक्ष को धारण करता है, वह कभी गरीब नहीं होता।

2, दो मुख वाला रुद्राक्ष देव देवेश्वर कहा गया है। यह सभी इच्छाएं पूरी करता है।

3, तीन मुख वाला रुद्राक्ष सफलता दिलाने वाला होता है। विद्या प्राप्ति के लिए भी यह रुद्राक्ष बहुत विशेष है।

4, चार मुख वाला रुद्राक्ष ब्रह्मा का स्वरूप है। उसके दर्शन तथा स्पर्श से धर्म,अर्थ,काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है।

5, पांच मुख वाला रुद्राक्ष कालाग्नि रुद्र स्वरूप है। इसको पहनने से अद्भुत मानसिक शक्ति का विकास होता है।

6, छ: मुख वाला रुद्राक्ष भगवान कार्तिकेय का स्वरूप है। जो भी इस रुद्राक्ष को पहनता है,उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

7, सात मुख वाला रुद्राक्ष अनंग नाम से प्रसिद्ध है। इसे धारण करने वाला गरीब भी राजा बन जाता है।

8, आठ मुख वाला रुद्राक्ष अष्टमूर्ति भैरवस्वरूप है। जो भी ये रुद्राक्ष पहनता है उसकी आयु बढ़ जाती है।

9, नौ मुख वाला रुद्राक्ष भैरव व कपिलमुनि का प्रतीक है। इसे पहनने से गुस्से पर नियंत्रण व ज्ञान की प्राप्ति होती है।

10, दस मुख वाला रुद्राक्ष भगवान विष्णु का रूप है। इसे धारण करने वाले मनुष्य की संपूर्ण इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।

11, ग्यारह मुखवाला रुद्राक्ष रुद्र रूप है। जो इस रुद्राक्ष को पहनता है,किसी भी क्षेत्र में उसकी कभी हार नहीं होती।

12, बारह मुख वाले रुद्राक्ष को धारण करने से इज्जत,शोहरत,पैसा या अन्य किसी चीज की कोई कमी नहीं होती।

13, तेरह मुख वाला रुद्राक्ष विश्वदेवों का रूप है। इसे धारण कर मनुष्य सौभाग्य और मंगल लाभ प्राप्त करता है।

14, चौदह मुख वाला रुद्राक्ष परम शिवरूप है। इसे धारण करने पर समस्त पापों का नाश हो जाता है।

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मूल नक्षत्र और प्रभाव

गण्डमूल अश्विनी नक्षत्र का प्रभाव
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मेष राशि में अश्विनी नक्षत्र शून्य अंश से प्रारम्भ होकर 13:20 अंश  तक तक रहता है जन्म के समय यदि चंद्रमा 2 : 30 अंशों के मध्य अर्थात प्रथम चरण में स्थित हो तो गण्डमूल नक्षत्र में जन्म माना जाता है। अश्विनी नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्म होने पर जातक को अपने जीवन काल में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने पर बच्चा पिता के लिए कष्टकारी होता है परन्तु हमेशा नहीं।

प्रथम चरण – पिता को शारीरिक कष्ट एवं  हानि।

दूसरे चरण —परिवार में सुख शांति ।

तीसरे चरण — सरकार से लाभ  तथा मंत्री पद का लाभ ।

चतुर्थ चरण —परिवार एवं जातक को राज सम्मान तथा ख्याति ।

गण्डमूल मघा नक्षत्र का प्रभाव

सिंह राशि के आरम्भ के साथ ही मघा नक्षत्र शुरु होता है। परन्तु सिंह राशि में जब चंद्रमा शून्य से लेकर दो अंश और बीस मिनट अर्थात प्रथम चरण में रहता है तब ही गंडमूल नक्षत्र माना गया है।

प्रथम चरण  — माता को कष्ट होता है।

दूसरे चरण –    पिता को कोई कष्ट या हानि  होता है।

तीसरे चरण –  जातक सुखी जीवन व्यतीत करता है।

चौथे चरण –    जातक को धन विद्या का लाभ, कार्य क्षेत्र में स्थायित्व प्राप्त होता है।

गण्डमूल मूल नक्षत्र का प्रभाव

जब चंद्रमा धनु राशि में शून्य से तेरह अंश और बीस मिनट के मध्य स्थित होता है तब यह मूल नक्षत्र में आता है परन्तु जव चन्द्रमा शून्य अंश से तीस मिनट अर्थात प्रथम चरण में हो तो गण्ड मूल में उत्पन्न जातक कहलाता है।

प्रथम चरण –  पिता के जीवन के लिए घातक।

दूसरे चरण – माता के लिए अशुभ, को कष्ट।

तीसरे चरण – -धन नाश।

चतुर्थ चरण – जातक सुखी तथा समृद्ध जीवन व्यतीत करता है।

गण्डमूल आश्लेषा नक्षत्र का प्रभाव

जब चंद्रमा जन्म के समय कर्क राशि में 16 अंश और 40 मिनट से 30 अंश के मध्य स्थित होता है तब आश्लेषा नक्षत्र कहलाता है। परन्तु जव चन्द्रमा  छब्बीस अंश से चालीस मिनट अर्थात चतुर्थ चरण में हो तो गण्डमूल में उत्पन्न जातक कहलाता है।

प्रथम चरण —शांति और सुख मिलेगा।

दूसरे चरण –  धन नाश,बहन-भाईयों को कष्ट।

तृतीय  चरण — माता को कष्ट।

चतुर्थ चरण —  पिता को कष्ट, आर्थिक हानि।
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गण्डमूल ज्येष्ठ नक्षत्र का प्रभाव

जब चंद्रमा जन्म के समय  वृश्चिक राशि में 16 अंश और 40 मिनट से 30 अंश के मध्य स्थित होता है तब ज्येष्ठ नक्षत्र कहलाता है। परन्तु जव चन्द्रमा  छब्बीस अंश और चालीस मिनट अर्थात चतुर्थ चरण में हो तो गण्डमूल में उत्पन्न जातक कहलाता है।

प्रथम चरण – बड़े भाई-बहनों को कष्ट।

दूसरे चरण –  छोटे भाई – बहनों के लिए अशुभ।

तीसरे चरण –  माता को कष्ट।

चतुर्थ चरण – स्वयं का नाश।

गण्डमूल रेवती नक्षत्र का प्रभाव

मीन राशि में 16 अंश 40 मिनट से 30 अंश तक रेवती नक्षत्र होता है। जिस समय चंद्रमा मीन राशि में 26 अंश और 30  मिनट के मध्य रहता है तो गंडमूल नक्षत्र वाला जातक कहलाता है।

प्रथम चरण  – जीवन सुख और आराम में व्यतीत होगा।

दूसरे चरण – मेहनत एवं  बुद्धि से नौकरी में उच्च पद  प्राप्त।

तीसरे चरण –  धन-संपत्ति का सुख के साथ धन हानि  भी।

चतुर्थ चरण -स्वयं के लिए कष्टकारी  होता है।

मूल नक्षत्र | गण्डमूल नक्षत्र शान्ति के उपाय /
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ज्योतिष और वास्तु समाधान।
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यदि बच्चा का जन्म गंडमूल नक्षत्र में हुआ है तो उसके पिता को चाहिए कि अपने बच्चे का चेहरा
न देखे और तुरंत पिता कि जेब में फिटकड़ी का टुकड़ा रखवा देना चाहिए ततपश्चात २७ दिन तक प्रतिदिन २७ मूली पत्तो वाली बच्चे के सिर कि तरफ रख देना चाहिए और पुनः उसे दुसरे दिन चलते पानी में बहा देना चाहिए।  यह क्रिया २७ दिनों तक नियमित करना चाहिए। इसके बाद २७ वे दिन विधिवत पूजा करके बच्चे को देखना चाहिए।
जिस जन्म नक्षत्र में जन्म हुआ है उससे सम्बन्धित देवता तथा ग्रह की पूजा करनी चाहिए। इससे नक्षत्रों के नकारात्मक प्रभाव में कमी आती है।
अश्विनी, मघा, मूल नक्षत्र में जन्में जातकों को गणेशजी की पूजा अर्चना करने से लाभ मिलता है।
आश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र में जन्में जातकों के लिए बुध ग्रह की अराधना करना चाहिए तथा  बुधवार के दिन हरी वस्तुओं जैसे  हरा धनिया, हरी सब्जी, हरा घास इत्यादि का दान करना चाहिए।
गंडमूल में जन्में बच्चे के जन्म के ठीक 27वें दिन गंड मूल शांति पूजा करवाई जानी चाहिए, इसके अलावा ब्राह्मणों को दान, दक्षिणा देने और उन्हें भोजन करवाना चाहिए। इसके लिए —
नक्षत्र का मन्त्र जाप
27 कुओं का जल,
27 तीर्थ स्थलों के कंकण,
समुद्र का फेन,
27 छिद्र का घड़ा,
27 पेड़ के पत्ते,
07 निर्धारित अनाज
07 खेडो की मृतिका

ग्रह और स्वास्थ्य

किस ग्रह के खराब या कमजोर होने पर किस तरह की बीमारी होती हैं।***************
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सूर्य ग्रह-
शरीर में स्थान-आँख, लंग्स, ह्रदय, नर्वस सिस्टम, हड्डिया, दिमाग, रीड की हड्डी की समस्या।
कमजोर होने पर देता यह असर-अस्त व्यस्त जिंदगी होना। चिंता रहना। अधिकारियो से विवाद होना।रैंक पाने में असफ लता या उन्नती में बाधा।
होते है यह रोग-सर दर्द, दिल के रोग, आँख के रोग, नस में पीड़ा, ब्रेन हेमरेज, पेट के रोग, मानसिक आघात मधुमेह, हैजा, हिचकी, पित्त रोग, टायफ ाईड, हड्डी का बुखार।
यह करे उपाय-आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ।
पहने यह रत्न-4 या 8 केरेट का रूबी धारण करे।

चंद्रमा ग्रह-
शरीर में स्थान-ह्रदय छाती सीना स्त्री जन्य अंग।
धन का नुक्सान। नोकरी का अचानक छुटना। व्यापार में हानि। विदेश यात्रा में रोक।
सीने में दर्द। महिलाओ के रोग। पानी के रोग। लकवा। हाइड्रोफोबिया। ब्लड प्रेशर। कफ।
यह सब तब होता जब चन्द्रमा राहू या शनि से दूषित हो।
उपाय 4 केरेट का मोती। नमक चमक रूद्र का अभिषेक।

मंगल ग्रह
अशांत वातावरण परिवार में। भूमि को लेकर कलह।
खून की कमी होती।
जलना। एलर्जी रोग। खुनी दस्त। अल्सर। लगातार खून बहना।
लाल मूंगा 8 से 12 केरेट का। हनुमान संकटमोचन का पाठ।

बुध ग्रह
पढ़ाई में रूकावट।
लिवर के रोग। जुआ में हानि।गहने और छपाई व्यवसाय में हानि। काली खासी। धन हानि। मिरगी। थकावट। नाड़ी में खराबी। हिस्टीरिया। संतुलन खोना। बेचेंन रहना।
पन्ना सोने की अंगुठी में 5 केरेट का पहने, या गणेश अथर्वशीष का पाठ। या तंत्रोक्त पाठ प्रतिदिन करे।

गुरु ग्रह
ज्ञान। धन। उच्चता। तत्व ज्ञान। सोभाग्य। स्त्री के लिए विवाह का कारक।
बाल उडऩा। हर्निया रोग। थाईराईड। मोटापा। पीठ दर्द। लिवर के रोग।
पढ़ाई में मन नहीं लगना। धैर्य खोना। झूट बोलना।
4 से 6 केरेट का पुखराज सोने की अंघूथि में पहने।

शुक्र गूह
पुरुष के लिए स्त्री कारक। भवन और वहां सुख का कारन। रहन सहन के स्तर का कारण। कलाकार बनाने में सहायक।
खऱाब हो तो मधूमेह। सूजन। पुरुस्तव रोग। वासना में डूबे रहना। शांति भंग होना।
30 से 40 सेंट का हिरा पहनाये।

शनि ग्रह
जीविका का कारक। सुख में कमी। लंबी आयु। वृद्ध दिखाता।
होती हैं यह बीमारियां-दमा, सास की बीमारी, उन्माद, गठिया, संधिपात, जोड़ो का दर्द, वातरोग, स्कीन रोग, कोकीन पेन।
इस ग्रह के खऱाब होने पर गरीबी, मजदुर की जिंदगी, कार्य क्षेत्र में बाधा, लंबी बीमारी, चिड़चिड़ापन रहता हैं।
यदि शनि और सूर्य साथ हो तो हलके नीली कलर का माणिक पहने। यदि वृषभ तुला मकर कुम्भ लग्न हो तो नीलम पहनाये। मेष, ककर्, सिंह, वृश्चिक लग्न को भूल कर भी नीलम या नीला कलर का कपड़ा न पहनाये।

राहू ग्रह
होती यह बीमारियां-पेट के रोग, खतरनाक व अजीब ख्याल, ट्यूमर रोग, स्त्री की योनि में रोग, रहस्य की और आकर्षण। अपराध की प्रवृति।
खऱाब हो तो नोकरी में बार-बार बदलाव, कर्ज की वृद्धि, जुआ खेलना,शराब की आदत, ड्रग्स, अन्य स्त्री के प्रति आकर्षित रहना, धोका देने में माहिर।
ऐसे लोग शिव आराधना करे।

केतु ग्रह
शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द। हमेशा बुखार रहना। गुप्त रोग। पाईल्स। और वो बीमारी जो डॉक्टर पकड़ ही नहीं पाये।
आदत-सिगरट का शोक। भय-ऊंचे स्थान से गिरने का भय। जहरीले जानवर के काटने का भय। जिनका केतु गृह कमजोर या खराब हो वे गणेश आराधना करे।
*****Jai Mata di *****
Vastu Guru *Mkpoddar*

विल्बपत्र के फायदे


हम बिल्ब पत्र के महत्व के बारे में
जानकारी शेयर कर रहा हूं । आप
लोगों को जरुर पसंद आयेगी ।
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बातें बिल्व वृक्ष की-
1. बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते
2. अगर किसी की शव यात्रा बिल्व वृक्ष की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है
3. वायुमंडल में व्याप्त अशुध्दियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है
4. चार पांच छः या सात पत्तो वाले बिल्व पत्रक पाने वाला परम भाग्यशाली और शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है
5. बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है।और बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है।
6. सुबह शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापो का नाश होता है।
7. बेल वृक्ष को सींचने से पितर तृप्त होते है।
8. बेल वृक्ष और सफ़ेद आक् को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
9. बेल पत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से ऋषि मुनि
स्वर्ण धातु का उत्पादन करते थे ।
10. जीवन में सिर्फ एक बार और वो भी यदि भूल से भी शिव लिंग पर बेल पत्र चढ़ा दिया हो तो भी उसके सारे पाप मुक्त हो जाते है
11. बेल वृक्ष का रोपण, पोषण और संवर्धन करने से महादेव से साक्षात्कार करने का अवश्य लाभ मिलता है।
कृपया बिल्व पत्र का पेड़ जरूर लगाये ।
बिल्व पत्र के लिए पेड़ को क्षति न पहुचाएं
शिवजी की पूजा में ध्यान रखने योग्य बात
शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को कौन सी चीज़ चढाने से
मिलता है क्या फल
किसी भी देवी-देवता का पूजन करते वक़्त उनको अनेक चीज़ें
अर्पित की जाती है। प्रायः भगवन को अर्पित की जाने वाली हर
चीज़ का फल अलग होता है। शिव पुराण में इस बात का वर्णन
मिलता है की भगवन शिव को अर्पित करने वाली अलग-अलग
चीज़ों का क्या फल होता है।
शिवपुराण के अनुसार जानिए कौन सा अनाज भगवान शिव को
चढ़ाने से क्या फल मिलता है:
1. भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है।
2. तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है।
3. जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है।
4. गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है।यह सभी अन्न भगवान को अर्पण करने के बाद गरीबों में वितरीत कर देना चाहिए।
शिव पुराण के अनुसार जानिए भगवान शिव को कौन सा रस
(द्रव्य) चढ़ाने से उसका क्या फल मिलता है
1. ज्वर (बुखार) होने पर भगवान शिव को जलधारा चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जलधारा द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है।
2. नपुंसक व्यक्ति अगर शुद्ध घी से भगवान शिव का अभिषेक करे, ब्राह्मणों को भोजन कराए तथा सोमवार का व्रत करे तो उसकी समस्या का निदान संभव है।
3. तेज दिमाग के लिए शक्कर मिश्रित दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।
4. सुगंधित तेल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर समृद्धि में वृद्धि होती है।
5. शिवलिंग पर ईख (गन्ना) का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है।
6. शिव को गंगाजल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।
7. मधु (शहद) से भगवान शिव का अभिषेक करने से राजयक्ष्मा
(टीबी) रोग में आराम मिलता है।
शिव पुराण के अनुसार जानिए भगवान शिव को कौन का फूल
चढ़ाया जाए तो उसका क्या फल मिलता है
1. लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने
पर भोग व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
2. चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मिलता है।
3. अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने से मनुष्य भगवान
विष्णु को प्रिय होता है।
4. शमी पत्रों (पत्तों) से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है।
5. बेला के फूल से पूजन करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है।
6. जूही के फूल से शिव का पूजन करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।
7. कनेर के फूलों से शिव पूजन करने से नए वस्त्र मिलते हैं।
8. हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
9. धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है।
10. लाल डंठलवाला धतूरा पूजन में शुभ माना गया है।
11. दूर्वा से पूजन करने पर आयु बढ़ती ह
जय महादेव
जय महाकाल
ॐ नमः शिवाय

मांगलिक बिवाह निवारण

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    शादी में आ रही है बाधा तो यह रहे कुछ उपाय, जल्द बजेगी शहनाई ।
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यदि किसी लड़के या लड़की के लिए मनपसंद वर या वधु नहीं मिल रहा हो या फिर शादी में कोई ना कोई बाधा आ जाती हो तो इससे ना सिर्फ लड़का या लड़की परेशान रहते हैं बल्कि उनका पूरा परिवार ही परेशान रहता है। बात लड़की की हो तो माता-पिता के लिए परेशानी की बात बढ़ जाती है। कई बार ऐसे उदाहरण भी होते हैं कि किसी के बच्चों का चट मंगनी पट ब्याह हो गया और कोई लंबे समय तक संघर्ष ही करता रहता है। वैसे विवाह का मामला भी ऐसा होता है कि जल्दबाजी में कोई फैसला लिया नहीं जा सकता और सोच समझ कर आगे बढ़ने में कभी-कभी बहुत देर होती चली जाती है। माता-पिता सामाजिक लोक लाज की फिक्र करते हुए अपने बच्चों की कुंडली लेकर कभी इस पंडित जी तो कभी उस पंडित जी के दरबार में हाजिरी लगाते रहते हैं ताकि यदि कोई ग्रह बाधा चल रही हो तो वह दूर हो जाये या फिर किसी पूजन के जरिये दोषों का निवारण हो जाये।


आइये सबसे पहले जानते हैं कि शादी में बाधाएँ आखिर आती क्यों हैं?

-कुंडली में दोष होने के कारण।

-गृह अनुकूल नहीं होने के कारण।

-मांगलिक होने के कारण।

-यदि कुंडली में सातवें घर का स्वामी सप्तमांश कुंडली में किसी भी नीच ग्रह के साथ अशुभ भाव में बैठा हो तो शादी तय नहीं हो पाती है।

-यदि जन्म समय में श्रवण नक्षत्र हो तथा कुंडली में कहीं भी मंगल एवं शनि का योग हो तो शादी तय होकर भी टूट जाती है।


यदि आप शीघ्र विवाह करना चाहते हैं तो इन उपायों को आजमा सकते हैं-

-हर सोमवार को 1200 ग्राम चने की दाल लेकर इसके साथ सवा लीटर कच्चे दूध का दान करें। जब तक शादी नहीं हो जाती तब तक ऐसा करते रहें।

-लड़की की शादी होने में देरी हो रही है तो भगवान शिव की उपासना करें। 5 नारियल लेकर भगवान् शिव की फोटो या भगवान शिव के मूर्ति के आगे रखकर “ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नामः” , मंत्र की पांच माला का जप करें और सभी नारियल मंदिर में चढ़ा दें।

-रोजाना ‘दुर्गासप्तशती’ से ‘अर्गलास्तोत्रम्’ तक पाठ करें।

-लड़का या लड़की देखने जा रहे हैं तो घर से गुड़ खाकर निकलें।

-भगवान श्रीगणेश जी को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएँ।

-लड़की गुरुवार को अपने तकिए के नीचे हल्दी की गांठ पीले वस्त्र में लपेट कर रखे।

-पीपल की जड़ में लगातार 13 दिन जल चढ़ाने से शादी में आ रही रुकावट दूर हो जाती है।

-प्रत्येक गुरुवार को पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करें।

-गुरुवार को गाय को दो आटे के पेड़े पर थोड़ी हल्दी लगाकर गुड तथा चने की गीली दाल के साथ देना चाहिए।

-गुरूवार को केले के वृक्ष के समक्ष गुरु के 108 नामों के उच्चारण के साथ शुद्ध घी का दीपक तथा जल अर्पित करें।

-जब घर वाले शादी की बात करने जा रहे हों तो लड़की को खुले बाल रखने चाहिएं और लाल वस्त्र धारण करना चाहिए और मिष्ठान खिलाकर घर वालों को बातचीत के लिए विदा करना चाहिए।


यदि आप मांगलिक हैं और शादी में देरी हो रही है तो इन उपायों पर गौर करें-

-हर मंगलवार को चंडिका स्त्रोत्र का पाठ करने से लाभ होता है।

-शनिवार के दिन सुन्दर काण्ड का पाठ करेंगे तो शादी जल्द होगी।

-प्रत्येक मंगलवार को हनुमान मंदिर में जाकर घी का दीपक जलाएं और हनुमान जी को सिंदूर लगायें।

-मांगलिक लड़के, लड़की को अपने घर के कमरे के दरवाजे का रंग लाल या गुलाबी रखना चाहिए।

-मांगलिक होने के कारण अगर विवाह में अड़चन आ रही हो तो कन्या प्रत्येक मंगलवार श्री मंगल चंडिका स्त्रोत का पाठ करे तथा लाल मूंगे की माला से निम्न मंत्र का जप करे- 'ॐ ह्री श्री क्ली सर्व पूज्य देवी मंगल चण्डिके हूँ फट स्वाह।


विवाह में यदि कोई बाधा आ रही हो तो उससे निपटने के लिए निम्न उपाय आजमा सकते हैं-

-अपनी सहेली या रिश्तेदार द्वारा शादी में पहना गया जोड़ा कुछ देर के लिए पहन लें।

-गुरुवार के दिन अनार के पौधे की पूजा करनी चाहिए और इसके पुष्प को भगवान शिवजी को अर्पित करना चाहिए।

-जब किसी अन्य की शादी से जुड़े समारोह में जाएं और वहां मेहंदी लग रही हो अपने हाथ में थोड़ी सी लगवा लें।

-विवाह में विलंब का कारण राहू हो तो शनिवार के दिन बहते हुए जल में एक नारियल को प्रवाहित करना चाहिए।

-रिश्ते की बात चलने पर जब भी लड़का-लड़की को मिलवाया जाए तो उन्हें दक्षिण दिशा में बिठाएँ।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें wp 9333112719 पर।

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राशि अनुसार विवाह के उपाय, तुरंत बनेंगे विवाह के योग।

आप में से कई लोग ऐसे होंगे, जो विवाह तो करना चाह रहे हैं लेकिन विवाह होने में कोई ना कोई परेशानी बनी रहती है। Jyotish Guru Mk, Astrology or...