Wednesday, 27 July 2022

जन्मकुंडली का कौनसा भाव मजबूत होना जरूरी है

जन्म कुंडली का कौनसा घर(भाव) सबसे मजबूत होना चाहिए, यदि वह कमजोर है तो मजबूत कैसे किया जा सकता हैं।?
ज्योतिष और वास्तु समाधान 🏠Vastu Guru_ Mk.✋ 👉WP. 9333112719 प्रश्न के दो भाग हैं :१-जन्म पत्रिका में कौन सा भाव सबसे मजबूत होना चाहिए ? २-यदि वह कमजोर है तो ऐसे भाव को कैसे मजबूत किया जा सकता है? पहले प्रश्न पर मेरा सुझाव यह है कि सबसे अधिक बली होने की धारणा तर्क संगत नहीं इसके स्थान पर पर्याप्त बली कहना अधिक व्यावहारिक होगा। ★जन्म पत्रिका में लग्न चन्द्रमा और सूर्य ये तीन शरीर,मन और जीवात्मा के प्रतिनिधि होते हैं। ◆क्रम की दृष्टि से लग्न भाव शरीर का प्रतिनिधि होता है ।इसलिए सबसे पहले लग्न भाव ही सबसे अधिक नहीं तो पर्याप्त बली होना चाहिए। क्योंकि यह नींव है जिसके आधार पर जीवन टिका होता है। लग्न से ही ग्रहों की शुभाशुभ प्रकृति तय होती है। ◆दूसरे क्रम में मन का कारक चन्द्रमा है।कहा गया है,मन के हारे हार है,मन के जीते जीत।। यदि लग्न कमजोर है तो चन्द्रमा पर्याप्त बली होना चाहिए।ऐसी स्थिति में शरीर दुर्बल होने पर भी मन की दृढ़ता के बल पर व्यक्ति जीवन में बहुत कुछ उपलब्ध कर लेता है। ★तीसरे क्रम में आत्मा का कारक सूर्य है।सच तो यह है कि आत्म बल के आगे शरीर और मन की कमजोरी भी उन्नति में आड़े नहीं आ सकती है। www.asthajyotish.in इस प्रकार तीनो का अपना अपना महत्व है।इसलिए मेरा विचार और अनुभव यही है कि तीनों को पर्याप्त बली होना चाहिए। फिर भी यदि जन्म लग्न, चन्द्र और सूर्य- इन तीनों में से एक भी बली है तो जातक उन्नति कर सकता है। ◆पाश्चात्य ज्योतिष के अनुसार पुरुष की पत्रिका में सूर्य का बली होना आवश्यक जब कि स्त्री की पत्रिका में चन्द्र का बली होना आवश्यक माना गया है। ★प्रश्न का दूसरा भाग यह है कि यदि अपेक्षित भाव कमजोर है तो कैसे मजबूत किया जा सकता है? ★जिस प्रकार दीपक पहले से रखी वस्तु को केवल दिखाता है वैसे ही ग्रह भी पहले के कर्मों के फल को केवल दिखाते हैं।इसलिए ज्योतिष का आधार पुनर्जन्म और कर्मफ़ल का गीता व शास्त्रों में वर्णित कर्मफल सिद्धांत है। इसलिए यदि— ★1 शरीर भाव को मजबूत करना है तो शरीर की प्रकृति जानना होगी जो लग्न भाव पर वात पित्त कफ त्रिदोष में से किसका प्रभाव अधिक है- इसे देख कर ज्ञात की जा सकती है। प्रकृति ज्ञात हो जाने पर उसी प्रकृति अनुसार आहार विहार दिनचर्या ,ऋतुचर्या को नियमित करना होगा। ★ व्यक्ति के शरीर की प्रकृति जानने के लिए ज्योतिष बहुत उपयोगी सिद्ध होता है, कैसे ? आइए आप भी जानिए यह सरल है। ज्योतिर्विज्ञान में — (क) 12 राशियों का अग्नि पृथ्वी वायु जल इन चार तत्व के अनुसार वर्गीकरण है। (ख) फिर नौ ग्रहों का वात पित्त कफ अनुसार वर्गीकरण है। (ग) फिर काल पुरुष के अनुसार लग्न में आने वाली राशि के अनुसार शरीर के उस अंग विशेष में व्याधि के प्रति संवेदनाशीलता भी विचारणीय होती है। •उदाहरण के लिए जैसे कि कर्क लग्न है जो जल तत्त्व प्रधान है तो व्यक्ति को कफ विकार अधिक शीघ्रता से होंगे। ••शनि शीतल वात प्रधान हैऔर लग्न पर इसका भी प्रभाव है तो वातज कफज रोग अधिक संभावित रहेंगे। जन्मलग्न में जो राशि आ रही है (मेष से सिर, कर्क से छाती,मीन से पैर -इस क्रम से ) वह राशि काल पुरुष के जिस अंग का प्रतिनिधि है, तो व्यक्ति के शरीर का वह अंग अधिक प्रभावित होता है। ◆यह चन्द्रकला नाड़ी का सूत्र है जो मेरे अनुभव के अनुसार शत प्रतिशत सही है। •जैसे लग्न में धनु राशि है तो धनु कालपुरुष की कमर का प्रतिनिधि होने से व्यक्ति की कमर सम्बन्धी व्याधि के प्रति संवेदनशीलता अधिक होगी । यदि लग्न में कन्या है तो उदर आंतों की व्याधि की संभावना रहेगी पर जैसा ग्रह प्रभाव लग्न पर होगा उसी अनुसार । •लग्न यदि अग्नि तत्व के कारक मंगल से प्रभावित तो पित्तज रोग, शस्त्र कष्ट संभावित रहेंगे। इत्यादि। ◆सारांश यह कि लग्न को अर्थात शरीर को बली करना तो उपरोक्त बचाव समझ कर सबसे पहले आयुर्वेदिक प्राकृतिक उपचार करने चाहिए। आहरविहार दिनचर्या इसी व्याधि से बचने के लिए नियमित करना चाहिए ★2 चन्द्र को बली करना है तो उत्साह जनक वातावरण में रहना चाहिए और मन को सदैव प्रसन्न रखने का प्रयास-अभ्यास करना चाहिए।मन को इसतरह से मजबूत बनाने के लिए सबसे सरल , साइडइफेक्ट रहित तरीका यह है कि नित्य 10 से 20 मिनिट प्राणायाम व योगाभ्यास करना चाहिए। इससे मन मजबूत होगा। क्योंकि श्वास से मन का सीधा सम्बन्ध है। ( आपने गौर किया होगा कि क्रोध होने पर साँस बहुत तेज चलती है;मन भारी होने पर व्यक्ति दीर्घ श्वास छोडता है -हाय! हाँ s s ! अरे ! कहते हुए ; शांत चित्त होने पर श्वास बहुत धीमी चलती है। ) इसलिए मन मजबूत होगा तो चन्द्र मजबूत होगा। ★ विशेष ध्यान देने योग्य बात है: मनुष्य केवल शरीर नहीं; मनुष्य केवल मन नहीं। मनुष्य दोनों का जोड़ है- यह 'मनः शरीरी' है psycho somatic है। एक के मजबूत होने से दूसरा भी मजबूत होता है । ★3 सूर्य को बली करना है तो सूर्योदय समय की लालिमा में खड़े हों। इसके साथ अपने इष्ट देवी-देवता का या गायत्री का या निराकार ब्रह्म का, अपनी अपनी रुचि सामर्थ्य और परम्परा के अनुसार ध्यान करने से आत्म तत्व मजबूत होगा- आत्म तत्व मजबूत हुआ तो जन्मत्रिका का सूर्य मजबूत हुआ समझिए। इस प्रकार व्यक्ति अपने शरीर ,मन और आत्मतत्व—इन तीनों को मजबूत कर सकता है। Jyotish Guru Mk https://youtube.com/c/JyotishGuruMk हो सकता है कि मेरा उत्तर अधिकांश पाठकों को मन माफिक न लगे पर ज्योतिर्विज्ञान से सही मायनों में लाभ लेना है तो यही श्रेष्ठ विधि है अर्थात जिस मार्ग को पूर्वजों ने अपनाया है वही मार्ग श्रेष्ठ है। अधिक जानकारी प्राप्त करने हेतु WhatsApp करें 9333112719 पर।

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