Saturday, 16 October 2021

Diwali 2021 : कब है दीपावली पूजन और शुभ मुहूर्त

कब है दीपावली पूजन और शुभ मुहूर्त

2021 में।


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Diwali 2021: हिंदू धर्म में दिवाली के त्योहार का विशेष महत्व है. हिंदू कैलेंडर और पौराणिक कथाओं के अनुसार, दिवाली कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन मनाई जाती है. इस साल कार्तिक अमावस्या 4 नवंबर 2021 को है. लोगों को हर साल दिवाली (Diwali 2021) के त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है.

दशहरा (Dussehra 2021) खत्म होते लोग दिवाली की तैयारी में लग गए हैं. दशहरा के पर्व से 20 दिन बाद दिवाली का पर्व मनाया जाता है. दिवाली का त्यौहार लक्ष्मी जी को समर्पित है. इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है. ऐसे में लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ मुहूर्त (Diwali Shubh Muhurt) की जानकारी होनी बहुत जरूरी है.

मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का समय

हिंदू कैलेंडर Diwali Muhurt in Calendar) के अनुसार, मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का समय शाम 06 बजकर 09 मिनट से रात 08 बजकर 20 मिनट तक का माना जा रहा है. पूजा की अवधि- 1 घंटे 55 मिनट की होगी. वहीं प्रदोष काल- शाम 17:34:09 बजे से रात 20:10:27 बजे तक जबकि, वृषभ काल- शाम 18:10:29 बजे से रात 20:06:20 बजे तक माना जा रहा है.

दिवाली पर निशिता काल मुहूर्त

निशिता काल- रात 23:39 बजे से 5 नवंबर रात 00:31 बजे तक
सिंह लग्न- 5 नवंबर रात 00:39 बजे से तड़के 02:56 बजे तक

दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त

सुबह का मुहूर्त: 06:34:53 बजे से 07:57:17 बजे तक
सुबह का मुहूर्त: 10:42:06 बजे से दोपहर 14:49:20 बजे तक
सायंकाल मुहूर्त: शाम 16:11:45 बजे से रात 20:49:31 बजे तक
रात्रि मुहूर्त: रात 24:04:53 बजे से रात 01:42:34 बजे तक

एक ही राशि में होंगे चार ग्रह

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस साल दिवाली पर सूर्य, मंगल, बुध और चंद्रमा एक ही राशि पर विराजमान होंगे. माना जा रहा है कि तुला राशि में इन चारों ग्रहों के रहने से शुभ परिणाम देखने को मिलेंगे. बता दें कि तिष शास्त्र में सूर्य को ग्रहों का राजा, मंगल को ग्रहों का सेनापति, बुध को ग्रहों का राजकुमार और चंद्रमा को मन का कारक माना गया है.

लक्ष्मी पूजन की विधि

  • दिवाली की सफाई बहुत जरूरी है. अपने घर के हर कोने को साफ करने के बाद गंगाजल छिड़कें.
  • लकड़ी की चौकी पर लाल सूती कपड़ा बिछाएं और बीच में मुट्ठी भर अनाज रखें.
  • कलश (चांदी/कांस्य का बर्तन) को अनाज के बीच में रखें.
  • कलश में पानी भरकर एक सुपारी (सुपारी), गेंदे का फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने डाल दें. -कलश पर 5 आम के पत्ते गोलाकार आकार में रखें.
  • केंद्र में देवी लक्ष्मी की मूर्ति और कलश के दाहिनी ओर (दक्षिण-पश्चिम दिशा) में भगवान गणेश की मूर्ति रखें.
  • एक छोटी थाली लें और चावल के दानों का एक छोटा सा पहाड़ बनाएं, हल्दी से कमल का फूल बनाएं, कुछ सिक्के डालें और मूर्ति के सामने रखें.
  • अब देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश को तिलक करें और दीपक जलाएं. कलश पर भी तिलक लगाएं.
  • अब भगवान गणेश और लक्ष्मी को फूल चढ़ाएं.
  • नारियल, सुपारी, पान का पत्ता माता को अर्पित करें.
  • देवी की मूर्ति के सामने कुछ फूल और सिक्के रखें.
  • थाली में दीया लें, पूजा की घंटी बजाएं और लक्ष्मी जी की आरती करें.
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