करवा चौथ व्रत कैसे करें सरल विधि और सामग्री
स्त्रियां इस व्रत को पति की दीर्घायु के लिए रखती हैं। यह व्रत अलग-अलग क्षेत्रों में वहां की प्रचलित मान्यताओं के अनुरूप रखा जाता है। भले ही इन मान्यताओं में थोड़ा-बहुत अंतर होता है, लेकिन सार सभी का एक होता है पति की दीर्घायु।
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जानकारों के मुताबिक महाभारत से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले जाते हैं। दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आ पड़ते हैं। द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं। वह कहते हैं कि यदि वह कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करें तो इन सभी संकटों से मुक्ति मिल सकती है। द्रौपदी विधि विधान सहित करवाचौथ का व्रत रखती है जिससे उनके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। इस प्रकार की कथाओं से करवा चौथ का महत्त्व हम सबके सामने आ जाता है।
शास्त्र के अनुसार किसी भी व्रत में पूजन विधि का बहुत महत्व होता है। अगर सही विधि पूर्वक पूजा नहीं की जाती है तो इससे पूरा फल प्राप्त नहीं हो पाता है। करवा चौथ की पूजन सामग्री और व्रत की विधि-
👉करवा चौथ पर्व की पूजन सामग्री
कुंकुम, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मेंहदी, मिठाई, गंगाजल, चंदन, चावल, सिन्दूर, मेंहदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूँ, शक्कर का बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ, दक्षिणा के लिए पैसे।
सम्पूर्ण सामग्री को एक दिन पहले ही एकत्रित कर लें। व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहन लें व शृंगार भी कर लें। इस अवसर पर करवा की पूजा-आराधना कर उसके साथ शिव-पार्वती की पूजा का विधान है, क्योंकि माता पार्वती ने कठिन तपस्या करके शिवजी को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था इसलिए शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा का धार्मिक और ज्योतिष दोनों ही दृष्टि से महत्व है। व्रत के दिन प्रात: स्नाानादि करने के बाद संकल्प बोल कर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें।
👉करवा चौथ पूजन विधि
1. प्रात: काल में नित्यकर्म से निवृ्त होकर संकल्प लें और व्रत आरंभ करें।
2. व्रत के दिन निर्जला रहे यानि जलपान ना करें।
3. व्रत के दिन प्रात: स्नानादि करने के बाद संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें।
4. प्रात: पूजा के समय मन्त्र के जप से व्रत प्रारंभ करें।
मंत्र: 'मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।'
5. घर के मंदिर की दीवार पर गेरू से फलक बनाकर चावलों को पीसे। फिर इस घोल से करवा चित्रित करें। इस रीती को करवा धरना कहा जाता है।
6. शाम के समय, मां पार्वती की प्रतिमा की गोद में श्रीगणेश को विराजमान कर उन्हें लकड़ी के आसार पर बिठाए।
7. मां पार्वती का सुहाग सामग्री आदि से श्रृंगार करें।
8. भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करें और कोरे करवे में पानी भरकर पूजा करें।
8. सौभाग्यवती स्त्रियां पूरे दिन का व्रत कर व्रत की कथा का श्रवण करें।
9. सायं काल में चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही पति द्वारा अन्न एवं जल ग्रहण करें।
10. पति, सास-ससुर सब का आशीर्वाद लेकर व्रत को समाप्त करें।
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🙏जय माता दी 🙏
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