Astha Jyotish Asansol
Vastu Guru Mkpoddar
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !!
कौन कैसे पढ़े महामृत्युंजय मंत्र
महामृत्युंजय के अलग-अलग मंत्र हैं। आप अपनी सुविधा के अनुसार जो भी मंत्र चाहें चुन लें और नित्य पाठ में या आवश्यकता के समय प्रयोग में लाएँ। मंत्र निम्नलिखित हैं-
तांत्रिक बीजोक्त मंत्र- ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्वः भुवः भूः ॐ ॥ ( साधकों के लिए)
संजीवनी मंत्र : ॐ ह्रौं जूं सः। ॐ भूर्भवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनांन्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जूं ह्रौं ॐ। ( व्यापारियों, विद्यार्थियों और नौकरीपेशा लोगों के लिए विशेष फलदायी)
कालजयी मंत्र: ॐ ह्रौं जूं सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जूं ह्रौं ॐ ॥ ( समस्त गृहस्थों के लिए। विशेषकर रोगों से और कष्टों से मुक्ति के लिए)
रोगों से मुक्ति के लिए बीज मंत्र
रोगों से मुक्ति के लिए यूं तो महामृत्युंजय मंत्र विस्तृत है लेकिन आप बीज मंत्र के स्वस्वर जाप करके रोगों से मुक्ति पा सकते हैं। इस बीज मंत्र को जितना तेजी से बोलेंगे आपके शरीर में कंपन होगा और यही औषधि रामबाण होगी। जाप के बाद शिवलिंग पर काले तिल और सरसो का तेल ( तीन बूंद) चढाएं।
Vastu Guru ( Mkpoddar)
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ॐ हौं जूं सः ( तीन माला)
महामृत्युंजय मंत्र: रखें सावधानी
1. महामंत्र का उच्चारण शुद्ध रखें
2. एक निश्चित संख्या में जप करें।
3. मंत्र का मानसिक जाप करें।
4. पूरे विधि-विधान और धूप-दीप के साथ जाप करें
5. रुद्राक्ष की माला पर ही जप करें।
6. माला को गोमुखी में रखें।
7. जप काल में महामृत्युंजय यंत्र की पूजा करें।
8. महामृत्युंजय के जप कुशा के आसन पर बैठकर करें।
9. जप काल में दुग्ध मिले जल से शिवजी का अभिषेक करते रहें।
10. महामृत्युंजय मंत्र का जाप पूर्व दिशा की तरफ मुख करके ही करें।
11. जितने दिन जप करें इस समय ब्ररहामचर का पालन करें।
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