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Thursday, 27 January 2022
शनि की साढ़ेसाती और ढैया में क्या अंतर है
क्या है शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या
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शनि एक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक गतिशील रहते हैं। इसीलिए उन्हें मंगदामी भी कहते हैं क्योंकि एक घर में इतने दिनों तक रहने वाले शनि अकेले ग्रह हैं, उनका तीव्र प्रभाव एक राशि पहले से एक राशि बाद तक पड़ता है। यही स्थिति साढ़े साती कहलाती है। जब गोचर में शनि किसी राशि से चतुर्थ व अष्टम भाव में होता है तो यह स्थिति ढैय्या कहलाती है। अगर शनि तृतीय, षष्ठ और एकादश भाव में हों तो साढ़ेसाती और ढैय्या करिश्माई परिणाम की साक्षी बनती हैं और तब यह योग जीवन में सफलता लेकर आता है लेकिन अन्य के लिए शुभ परिणाम नहीं लेकर आता है। अगर शनि अष्टम व द्वादश भाव में है तो अधिक कष्ट प्राप्त होने की आशंका होती है। साढ़ेसाती लगभग साढ़ेसात साल और ढैय्या ढाई साल चलती है। हर किसी के जीवन साढ़ेसाती हर 30 साल में जरूर आती है। शनि की महादशा 19 साल की होती है। शनि का रत्न वैदुर्य है जिसे नीलम या ब्लू सफायर भी कहते हैं।
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Saturday, 22 January 2022
कुंडली में ग्रहों का फल कैसे जानें
अपनी जन्म कुंडली के अनुसार ऐसे लें ग्रहों का सही फल! ऐसे करें जन्म समय की सही पहचान
: यदि बालक का जन्म ठीक समय पर होगा तो ग्रहों का फल भी ठीक होगा , और यदि इष्ट में किसी भी प्रकार की चूक या गड़बड़ी हो ...
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ज्योतिषशास्त्र के जानकारों से यह बात छिपी नहीं है कि यदि बालक का जन्म ठीक समय पर होगा तो ग्रहों का फल भी ठीक होगा , और यदि इष्ट में किसी भी प्रकार की चूक या गड़बड़ी हो गई तो सम्पूर्ण फल में गड़बड़ी हो जाती है , इसलिए बालक के पिता को उचित तरीके से प्रसव के समय ऐसी चतुर और जानकार स्त्री को नियुक्त करें जो बच्चे के जन्म लेते ही पहली स्वांस का समय नॉट कर सके। और उसकी सुचना बाहर बच्चे के पिता को दे सके। बिना इस सही समय की जानकारी के जन्म पत्रिका को अशुद्ध माना जाता है।
आपको यह सब मालूम करना चाहिए की बच्चे के जन्म का समय सही है या नहीं इसके लिए लग्न जातक से वह सब डाटा मेल मिल जाये तो मान लो की जन्म का समय ठीक है। यहाँ अपने सटीक समय पली को अपने सामने रख ले और लग्न को देखकर बच्चे के आचरण और उससे जुडी जानकारी से मिलान करें।
: कुंडली में जिस घर में लग्न लिखा है उस घर में जो अंक लिखा है उस नंबर की राशि को ही उसका लग्न घर कहा जाता है जैसे लग्न घर में अंक 2 है या 4 है तो इस प्रकार देखें राशियों का क्रम 1 मेष, 2 वृष, 3 मिथुन, 4 कर्क, 5 सिंह, 6 कन्या, 7 तुला, 8 वृश्चिक, 9 धनु, 10 मकर, 11 कुम्भ, 12 मीन।
2 नंबर की राशि वृष है तो लग्न वृष होगा या लग्न में अंक 4 लिखा हो तो लग्न कर्क होगा , ईसी प्रकार आप अपने कुंडली में लग्न देखकर जन्म समय की सटीकता की जांच करें।
प्रशव घर कोई भी कमरा हो सकता है इसको मुख्य घर न समझे
यदि बालक के जन्म समय में लग्न तुला , वृश्चिक , कुम्भ , मेष , कर्क , हो तो प्रसव के घर का द्वार पूर्वमुख था।
यदि कन्या धनु मीन मिथुन लग्न में बालक का जन्म हो तो प्रसूतिघर का द्वार उत्तर की ओर था।
जन्म लग्न वृष लग्न हो तो प्रसूति द्वार पश्चिम मुख होगा।
जन्म समय सिंह और मकर लग्न हो तो प्रसूता द्वार दक्षिण होना चाहिए।
इसी प्रकार अपने प्रसूति घर के बारे में जानकारी सही मिलान करके भी जन्म समय के समय की सही गलत की जानकारी देख सकते है
ज्योतिष विद्या में बालक के जन्म लेते ही रोने सम्बन्धी जानकारी से भी सही गलत समय की पहचान की जा सकती है
बालक के जन्म समय में मेष , वृष , सिंह , मिथुन , तुला लग्न हो तो बालक जन्म लेते ही रोया करते है ।
कुम्भ, कन्या लग्न वाले बालक कुछ रोदन करते है
कर्क , वृश्चिक , धनु , मीन लग्न में जन्मे बालक जन्म लेते ही नहीं रोते , ये कुछ समय बाद रोते है।
मेष ,वृष , मिथुन , सिंह , तुला लग्नों बालक का जन्म हो तो यह बालक सब ज्ञान को भूलकर बहुत रोदन करता है
कुम्भ और कन्या लग्न वाले कुछ समय के लिए रोते है।
बालक के जन्म कुंडली से जानिए कुछ जन्म से जुड़े ग्रहों के फल
**जिस बालक के जन्मकाल में शुक्र बुध हो और केंद्र स्थान १,४,७,१० में बृहस्पति हो तथा दश में मंगल हो तो उस बालक को कुल का दीपक माना जाता है
*जिस बालक के जन्म लग्न में बुध शुक्र न हो और केंद्र में बृहस्पति न हो दशम घर में मंगल न हो तो उसका जन्म निरर्थक होता है
जो छठे और बारहवें घर में पापग्रह हो तो मत को भयकारक होता है चौथे दशमें स्थान में पापग्रह हो तो पिता को अरिष्ट होता है।
जो लग्न स्थान या सप्तम स्थान में मंगल हो पंचम में सूर्य और बारहवे स्थान में राहु हो तो वह बालक निस्चय प्रसिद्द पुरुष होता है।
*यदि बुध और बृहस्पति दशम स्थान में हो और १,४,७,१० सूर्य मंगल तथा तीसरे ग्यारवें घर में पाप गृह हो तो बालक के हाथ या पेरो में विकार होता है और छ उंगलिया होती है।
*यदि बारहवें स्थान में चन्द्र मंगल हो तो बाई आँख में खराबी करते है यदि बारहवें सूर्य और राहु हो तो दाहिना नेत्र में खराबी होती है।
*यदि तीसरे स्थान में शुक्र हो सिंह और मेष का बृहस्पति हो और दशवें घर में मंगल सूर्य हो तो बालक गूंगा होता है।
*यदि सिंह लग्न में जन्म हो और सप्तम स्थान में शनि हो तो ब्राह्मण घर में जन्म लेते हुए भी म्लेच्छ होगा।
*जो पांचवें सातवें नवें बारहवें आठवें तथा लग्न में इनमे किसी स्थान में क्षिणचन्द्रमा पापगृहयुक्त हो और बलवान होकर शुक्र बुध बृहस्पति इनमे से कोई शुभगृह न देखता हो तो या इनसे युक्त न हो तो बालक की मृत्यु हो जाती है।
*यदि कृष्ण पक्ष में दिन में जन्म हुआ हो और शुक्ल पक्ष में रात को जन्म हुआ हो उस वक्त छठे और आठवें स्थान में चन्द्रमा हो तो सम्पूर्ण अरिष्ट निवारण होते है। ज्योतिष उपाय से कुछ हद तक सहूलियत मिल जाती है।
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Monday, 17 January 2022
बच्चेदानी में सूजन और उपचार
आमतौर पर बच्चेदानी में सूजन
(Bulky Uterus)के कारण महिलाओं को गर्भधारण करने में बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह बांझपन के मुख्य कारणों में से एक है। महिलाओं के गर्भाशय का आकार बंद मुट्ठी या नाशपाती के बराबर होता है और प्रेगनेंसी के दौरान इसका आकार बहुत बढ़ जाता है। प्रेगनेंसी के अलावा सामान्य अवस्था में भी कई बार महिलाओं के गर्भाशय में सूजन आ जाती है। सामान्य अवस्था में गर्भाशय में सूजन के कई लक्षण हो सकते हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।
बच्चेदानी में सूजन क्या है?
बच्चेदानी में सूजन के लक्षण
बच्चेदानी में सूजन के कारण
बच्चेदानी में सूजन का इलाज
बच्चेदानी में सूजन होने पर महिला गर्भधारण कैसे कर सकती है?
बच्चेदानी में सूजन होने पर गर्भधारण के लिए मेडिकवर फर्टिलिटी आपकी मदद कर सकता है।
क्या गर्भाशय में सूजन के कारण प्रेगनेंसी में समस्या होती है?
क्या गर्भाशय में सूजन वजन बढ़ने का कारण बन सकता है?
भारी गर्भाशय फाइब्रॉएड क्या है?
गर्भाशय का सामान्य आकार क्या है?
बच्चेदानी में सूजन क्या है? (Bulky Uterus Kya Hota Hai in Hindi)
बच्चेदानी यानि गर्भाशय महिला प्रजनन का अंग है जो बच्चे के जन्म होने तक उसे रखने और पोषण करने के लिए जिम्मेदार होता है। भारी गर्भाशय जिसे अंग्रेजी में बल्की यूट्रस (Bulky Uterus Meaning in Hindi) कहते है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्भाशय का आकार सामान्य से बड़ा हो जाता है।
प्रेगनेंसी के समय इसका आकार बड़ा होना आम बात है, लेकिन सामान्य अवस्था में आकार बड़ा हो जाए तो यह समस्या की बात है। इस समस्या का समय पर इलाज ना किया जाए तो यह गंभीर हो सकता है और महिलाओं की फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकता है।
बच्चेदानी में सूजन के लक्षण
सामान्य अवस्था में गर्भाशय में सूजन के कई लक्षण हो सकते हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कुछ मुख्य लक्षण है -
पीरियड्स का अनियमित हो जाना
पेल्विक हिस्से में ऐंठन और ब्लीडिंग
पैरों में सूजन और ऐंठन
पीठदर्द
मीनोपॉज़ के बाद भी ब्लीडिंग होना
बार-बार और जल्दी पेशाब आना
संभोग के दौरान दर्द
पेट के निचले हिस्से के आसपास वजन बढ़ना
मुँहासे
अत्यधिक बाल बढ़ना
कब्ज
बच्चेदानी में सूजन के कारण
ज़्यादातर महिलाओं में ज्यादा टाइट कपड़े पहनने, भूख से ज्यादा खाना खाने, शारीरिक मेहनत की कमी, कब्ज या गैस के कारण से बच्चेदानी में सूजन आना संभव है। इसके अलावा गर्भाशय के बढ़ जाने के कई कारण हो सकते है, जैसे -
फाइब्रॉइड - यह नॉन-कैंसर ट्यूमर होते हैं जो छोटी गांठ की तरह होते हैं। यह गर्भाशय के अंदर और बाहर बढ़ सकते हैं।
एडिनोमायोसिस - यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्भाशय की परत, जिसे एंडोमेट्रियम कहा जाता है, गर्भाशय में बढ़ने लगते है।
पीसीसोएस - यह बीमारी हार्मोनल असंतुलन के कारण होती है, जिसमें गर्भाशय में सिस्ट बन जाते है।
एंडोमेट्रियल कैंसर - गर्भाशय के कैंसर के कारण से भी गर्भाशय बड़ा हो सकता है।
मेनोपॉज़ - पीरियड्स बंद होने यानि मेनोपॉज़ के दौरान हॉर्मोन में बदलाव के कारण भी सूजन आ सकती है।
ओवेरियन सिस्ट - ओवरी में सिस्ट बनने के कारण से गर्भाशय में सूजन आ सकती है।
बच्चेदानी में सूजन का इलाज (Bulky Uterus Treatment in Hindi)
इसका इलाज सूजन के पीछे के कारण पर निर्भर करता है, जैसे -
फाइब्रॉइड के साथ बच्चेदानी में सूजन (Bulky Uterus with Fibroid Meaning in Hindi) के लिए डॉक्टर आपको गर्भनिरोधक गोलियां जिनमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन या आईयूडी का सुझाव दे सकते है। ये गोलियां फाइब्रॉएड के विकास को रोकने में मदद करती हैं और पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग को कम कर सकती हैं। गंभीर मामलों में लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की जाती है।
एडेनोमायोसिस के कारण बच्चेदानी में सूजन की समस्या (Bulky Uterus Problem in Hindi) के लिए इबुप्रोफेन और हार्मोनल (एस्ट्रोजन-प्रोजेस्टेरोन) गर्भनिरोधक गोलियां एडेनोमायोसिस के कारण होने वाले दर्द और ज़्यादा ब्लीडिंग को रोकने में मदद कर सकती हैं। कुछ गंभीर मामलों में हिस्टेरेक्टॉमी का सुझाव दिया जा सकता है।
गर्भाशय और एंडोमेट्रियल कैंसर या ट्यूमर का कीमोथेरेपी, सर्जरी और दवाइयों से इलाज किया जाता है।
बच्चेदानी में सूजन होने पर महिला गर्भधारण कैसे कर सकती है?
यदि आपको गर्भाशय में सूजन की समस्या है और आप गर्भधारण के लिए प्रयास कर रही है, तो आपको एक गाइनेकोलॉजिस्ट या एक फर्टिलिटी डॉक्टर के पास जाना चाहिए। वह आपकी समस्या के आधार पर आपके लिए उचित उपचार का सुझाव देंगे। वह आपकी सूजन को ठीक करने के लिए आपको उपाय व् इलाज करने में आपकी मदद करेंगे। उसके बाद आप प्राकृतिक रूप व असिस्टेड रिप्रोडक्टिव तकनीक जैसे आईवीएफ और आईसीएसआई की मदद से गर्भधारण कर सकती है। ज़्यादा गंभीर मामलों में सरोगेसी की सलाह दी जा सकती है।
बच्चेदानी में सूजन होने पर गर्भधारण के लिए मेडिकवर फर्टिलिटी आपकी मदद कर सकता है।
मेडिकवर फर्टिलिटी एक अंतराष्ट्रीय फर्टिलिटी क्लिनिक हैं। यहाँ एडवांस्ड तकनीकों और उपकरणों के प्रयोग से जाँच की जाती है। मेडिकवर फर्टिलिटी ने अनगिनत निःसंतान दम्पत्तिओं के माता-पिता बनने का सपना पूरा हुआ है। यहाँ के फर्टिलिटी डॉक्टर और एम्ब्रियोलॉजिस्ट बहुत ही अनुभवी और उच्च सफलता दर के ट्रीटमेंट देने में पूरी तरह से सक्षम हैं।
मेडिकवर फर्टिलिटी में आर आई विटनेस (RI Witness) का प्रयोग किया जाता है। आई वी एफ लैब में होने वाली संभावित किसी भी प्रकार की गलतियों को रोकने में आरआई विटनेस से मदद मिलती है। इससे यह सुनिश्चित होता है की एम्ब्र्यो के लिए आपका ही सैंपल (एग और स्पर्म) का प्रयोग किया गया है। लोगों में आजकल इसके बारे में फिल्मों को देखने के बाद काफी जागरूकता बढ़ गई है। मेडिकवर फर्टिलटी में यह सुविधा पहले से ही उपलबध है, जिसका लाभ कई दम्पत्तियों को मिला है।
यदि आपको इस विषय से सबंधित कोई भी जानकारी चाहिए तो आप इस नंबर पर +917862800700 संपर्क कर सकते है।
महिलाओं में uterus परेशानी और उपचार
यूट्रस की सेहत के लिए ये जानना है जरूरी
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गर्भाशय महिलाओं के प्रजनन तंत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है। आंकड़ों की मानें, तो हर चार में से तीन महिला गर्भाशय की किसी न किसी समस्या से ग्रस्त होती हैं। लेकिन अधिकांश महिलाओं को पता ही नहीं चलता कि उनके गर्भाशय में कोई समस्या है, क्योंकि केवल 10 प्रतिशत महिलाओं में ही इसकी असामान्यता के लक्षण दिखाई देते हैं। ये लक्षण अनियमित पीरियड्स से लेकर बांझपन तक हो सकते हैं। इन छोटे-छोटे लक्षणों को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि यह किसी गंभीर बीमारी के संकेत भी हो सकते हैं।
गर्भाशय की आम बीमारियां
गर्भाशय में सूजन
गर्भाशय का आकार बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं, जिसका समय रहते उपचार जरूरी है। गर्भाशय के आसामान्य आकार के दो सबसे प्रमुख कारण हैं, युटेराइन फाइब्रॉइड और एडेनोमियोसिस। एडेनोमियोसिस में गर्भाशय मोटा हो जाता है और यह तब होता है, जब वह उत्तक जो सामान्य तौर पर गर्भाशय की सबसे भीतरी परत बनाते हैं, वह उसकी बाहरी दीवार में चले जाते हैं और वहां विकसित होकर एक मोटी परत बना लेते हैं, जिसे एडेनोमायोमा कहते हैं। अगर डिलिवरी सिजेरियन हुई हो तो इसकी आशंका और बढ़ जाती है। गर्भाशय का आकार बढ़ने के अन्य कारण पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम, गर्भ निरोधक गोलियों का प्रयोग और गर्भाशय कैंसर हैं। गर्भाशय की सूजन में इसका आकार बढ़ने के अलावा पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग, दर्द, शारीरिक संबंध बनाने पर दर्द, पेट के निचले भाग में दर्द और पेट भारी लगना आदि लक्षण भी दिखाई देते हैं।
77 फीसदी महिलाएं हैं फाइब्रॉएड्स से पीड़ित
फाइब्रॉएड्स गर्भाशय की मांसपेशीय परत में होने वाला एक कैंसर रहित ट्यूमर है। फाइब्रॉएड्स का आकार मटर के दाने से लेकर तरबूज के बराबर हो सकता है। कभी-कभी इन ट्यूमर में कैंसरग्रस्त कोशिकाएं भी विकसित हो जाती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि 77 प्रतिशत महिलाएं फाइब्रॉएड्स से पीड़ित होती हैं, जिनमें से 70 प्रतिशत में इसका कोई लक्षण नजर नहीं आता है। यह समस्या 18 से 50 आयु वर्ग की महिलाओं को होती है, जिसमें से 30 से ज्यादा उम्र की महिलाओं को यह समस्या सबसे ज्यादा होती है। किसी महिला के रिप्रोडक्टिव वर्षों में उसके शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रेन का उच्च स्तर फाइब्रॉएड्स के बनने के लिए जिम्मेदार होता है। इसके अलावा अनुवांशिक कारक भी फाइब्रॉएड्स के खतरे को बढ़ा देते है।
ऐसे रहेगा यूट्रस सेहतमंद
सेहतमंद गर्भाशय के लिए जरूरी है सभी पोषक तत्वों से भरपूर डाइट और नियमित व्यायाम। शारीरिक रूप से सक्रिय न रहने, एक्सरसाइज न करने से गर्भाशय और दूसरे प्रजनन अंगों में रक्त का उचित प्रवाह नहीं होता है। शारीरिक सक्रियता की कमी के कारण गर्भाशय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इसलिए रोजाना 30 मिनट तक व्यायाम करें या पैदल चलें। योग भी गर्भाशय की मांसपेशियों को लचीला और शक्तिशाली बनाए रखने में कारगर है। इसके अलावा पौष्टिक और संतुलित भोजन लें। तनाव न पालें। नियमित रूप से गाइनेकोलॉजिस्ट के पास जाएं और स्क्रीनिंग कराती रहें, ताकि बीमारी के गंभीर होने से पहले ही उसका उपचार किया जा सके।
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. गुंजन, डॉ. नुपुर गुप्ता और डॉ. अभिलाषा पाठक से बातचीत पर आधारित)
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