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Friday, 26 November 2021
वास्तु अनुसार दक्षिण दिशा मुख्य द्वार दोष कैसे दूर करें
वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिणमुखी मकान या दुकान कैसा प्रभाव देता है। wp.9333112719
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यह इस बात पर निर्भर करती है मकान का वास्तु, मुहल्ले का वास्तु तथा उसके आस-पास स्थित वातावरण और वृक्षों की स्थिति कैसी है। परंतु यदि आपको लग रहा है कि आपका दक्षिणमुखी मकान या दुकान दुषप्रभाव दे रहा है तो आप वास्तु में बताए गए कुछ उपाय कर सकते हैं। यहां जानिए कौन से है वो खास उपाय जो दक्षिणमुखी मकान के दुष्प्रभाव से बचाव करते है।
वास्तु के अनुसार मंगल की दिशा दक्षिण मानी गई है। इससे जुड़ी शुभ प्रभाव पाने के लिए दक्षिण दिशा में नीम का एक बड़ा सा वृक्ष जरूर होना चाहिए।
द्वार के ऊपर पंचमुखी हनुमानजी का चित्र भी लगाएं। कहा जाता है द्वार के ठीक सामने आशीर्वाद मुद्रा में हनुमान जी की मूर्ति अथवा तस्वीर लगाने से भी दक्षिण दिशा की ओर मुख्य द्वार के वास्तुदोष का नाश होता है।
अगर घर दरवाजा दक्षिण की तरफ हो तो द्वार के ठीक सामने एक आदमकद दर्पण इस प्रकार लगाना चाहिए, कि घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति का पूरा प्रतिबिंब दर्पण में बने।
इसके अलावा दक्षिण दिशा में मुख्य द्वार या खिड़की हो तो उस द्वारा या खिड़की को बदलकर पश्चिम, उत्तर, वायव्य, ईशान या पूर्व दिशा में कर देना चाहिए, इससे दक्षिण के बुरे प्रभाव बंद हो जाते हैं।
वास्तु शास्त्री मानते हैं कि द्वार के ऊपर पंचधातु का पिरामिड लगवाने से भी वास्तुदोष समाप्त होता है।
इसके अतिरिक्त दक्षिणम दिशा के दोष से राहत पाने के लिए गणेश जी की पत्थर की दो मूर्ति बनवाएं जिनकी पीठ आपस में जुड़ी हो। इस जुड़ी गणेश प्रतिमा को मुख्य द्वार के बीचों-बीच चौखट पर फिक्स कर दें, ताकि एक गणेशजी अंदर को देखें और एक बाहर को।
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Thursday, 25 November 2021
गायत्री मंत्र में कौन समपुष्ट मंत्र लगाने से क्या लाभ मिलेगा....
Jyotish Shastra: गायत्री मंत्र के साथ कौन सा सम्पुट लगाने पर क्या फल मिलता है, जानें...
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Jyotish Shastra: शास्त्रों में गायत्री मंत्र का बहुत महत्व है। मान्यता है कि गायत्री मंत्र से बड़ा कोई मंत्र नहीं है। जो व्यक्ति प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करता है, उसके सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। वहीं गायत्री मंत्र के साथ सम्पुट मंत्रों का जाप करने से गायत्री मंत्र और अधिक प्रभावी हो जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गायत्री मंत्र के साथ में कौन से सम्पुट मंत्र का जाप करना चाहिए। तो आइए जानते हैं गायत्री मंत्र के साथ कौन सा सम्पुट लगाने पर क्या फल मिलता है।
Jyotish Shastra: शास्त्रों में गायत्री मंत्र का बहुत महत्व है। मान्यता है कि गायत्री मंत्र से बड़ा कोई मंत्र नहीं है। जो व्यक्ति प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करता है, उसके सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। वहीं गायत्री मंत्र के साथ सम्पुट मंत्रों का जाप करने से गायत्री मंत्र और अधिक प्रभावी हो जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गायत्री मंत्र के साथ में कौन से सम्पुट मंत्र का जाप करना चाहिए। तो आइए जानते हैं गायत्री मंत्र के साथ कौन सा सम्पुट लगाने पर क्या फल मिलता है।
वैदिक गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुव: स्व : ॐ ह्रीं तत्सवितुर्वरेण्यं ॐ श्रीं भर्गो देवस्य धीमहि ॐ क्लीं धियो यो न: प्रचोदयात ॐ नम:। ॐ भूर्भुव: स्व : ॐ ह्रीं तत्सवितुर्वरेण्यं ॐ श्रीं भर्गो देवस्य धीमहि ॐ क्लीं धियो यो न: प्रचोदयात ॐ नम:। ॐ भूर्भुव: स्व : ॐ ऐं तत्सवितुर्वरेण्यं ॐ क्लीं भर्गो देवस्य धीमहि ॐ सौ: धियो यो न: प्रचोदयात ॐ नम:। ॐ श्रीं ह्रीं ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ ऐं ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं ॐ क्लीं ॐ भर्गोदेवस्य धीमहि ॐ सौ: ॐ धियो यो न: प्रचोदयात ॐ ह्रीं श्रीं ॐ।।
शास्त्रों के अनुसार वैदिक गायत्री मंत्र जपने का अधिकार उन व्यक्तियों को है जो नियमित स्नान के उपरांत संध्योपासन करते हैं और जो नहीं करते हैं वे पौराणिक गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं।
पौराणिक गायत्री मंत्र
ह्रीं यो देव: सविताSस्माकं मन: प्राणेन्द्रियक्रिया:।
प्रचोदयति तदभर्गं वरेण्यं समुपास्महे ।।
सम्पुट प्रयोग
गायत्री मंत्र के आसपास कुछ बीज मंत्रों का सम्पुट लगाने का भी विधान है जिनसे विशिष्ट कार्यों की सिद्धि होती है । बीज मंत्र इस प्रकार हैं।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं मंत्र का सम्पुट लगाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
ॐ ऐं क्लीं सौ: मंत्र का सम्पुट लगाने से विद्या प्राप्ति होती है।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं मंत्र का सम्पुट लगाने से संतान प्राप्ति, वशीकरण और मोहन होता है।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं मंत्र का सम्पुट के प्रयोग से शत्रु उपद्रव, समस्त विघ्न बाधाएं और संकट दूर होकर भाग्योदय होता है।
ॐ ह्रीं मंत्र इस सम्पुट के प्रयोग से रोग नाश होकर सब प्रकार के ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
ॐ आँ ह्रीं क्लीं मंत्र इस सम्पुट के प्रयोग से पास के द्रव्य की रक्षा होकर उसकी वृद्धि होती है तथा इच्छित वस्तु की प्राप्ति होती है। इसी प्रकार किसी भी मंत्र की सिद्धि और विशिष्ट कार्य की शीघ्र सिद्धि के लिए भी दुर्गा सप्तशती के मंत्रों के साथ सम्पुट लगा देने का भी विधान है। गायत्री मंत्र समस्त मंत्रों का मूल है तथा यह आध्यात्मिक शान्ति देने वाले हैं।
गायत्री शताक्षरी मंत्र
ॐ भूर्भुव: स्व : तत्सवितुर्वरेण्यं, भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात। ॐ जातवेदसे सुनवाम सोममराती यतो निदहाति वेद:। स न: पर्षदतिदुर्गाणि विश्वानावेव सिंधु दुरितात्यग्नि:।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धि पुष्टिवर्धनम। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।
शास्त्र में कहा गया है कि गायत्री मंत्र जपने से पहले गायत्री शताक्षरी मन्त्र की एक माला अवश्य कर लेनी चाहिये। माला करने पर मंत्र में चेतना आ जाती है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)https://sites.google.com/view/asthajyotish
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