लग्न कुंडली से कैसे जानें Date/month/year/Time
VastuGuru Mk wp.9333112719
: @ जातक जब ज्योतिष जिज्ञासा लेकर हमारे पास आते हैं तो बिना उनके बताए, हम यह बता दें कि जातक का प्रश्र क्या है।
: किसी के पास कोई दिव्य चक्षु नहीं है, सारा वैदिक ज्योतिष गणना पर आधारित है। विषय में जो दिया है, यदि आप वैदिक ज्योतिष का सामान्य ज्ञान रखते हैं तो यह कर सकते हैं।
: इस लिए मुल विषय से पहले कक्षा में वैदिक ज्योतिष के सिद्धांत आरंभ से बता रहे हैं।
: आज़ की कक्षा में, मैं आपको विषय से संबंधित एक जातक को चमत्कृत करने का एक आसान ढंग सीखाना चाहूंगा।
: निम्न लग्न कुंडली को ध्यान से देखें।
: आपकों इस कुंडली से, जातक का जन्म समय, मास, पक्ष, तिथि व आयु बतानी है।
: क्या यह संभव है?
: यह संभव है, कक्षा में आज़ यही सीखना है। साधारण गणना है।
: आपने कुंडली बनानी सीख ली है तो यह सूत्र भी सीख लेंगे।
: सबसे पहले मास ज्ञात करते हैं। यह सूर्य राशि से संभव है।
: सूर्य हर संक्रांति को राशि परिवर्तन करते हैं। यह अंग्रेजी मास की १५ से २० तारीख के मध्य होती है। अप्रैल मास में मेष राशि,(१) में प्रवेश करते हैं। यहां ८ वृश्चिक राशि में है। यानी लगभग नवंबर मध्य में इस राशि में आएं हैं। सूर्य २३ अंश पर है। यानी इस राशि में लगभग २३ दिन से है। जन्म मास दिसंबर है
: अभ्यास से जानें
: ८ से १० तारीख के बीच
: अब समय ज्ञात करते हैं। यह भी सूर्य की स्थिति से जानेंगे।
: सूर्योदय के समय, सूर्य लग्न भाव में स्थित होता है। हर लग्न में पिछले भाव में हों जाते हैं, यानी प्रथम से द्वादश भाव में।
: लग्न दो अंशों के लगभग है व सूर्य द्वादश भाव में।
: जन्म सुबह ७ से ८ के मध्य
: अब पक्ष जानते हैं। यह चन्द्र की स्थिति से जानेंगे।
: सूर्य चंद्र, अमावस्या को एक ही राशि में व पुर्णिमा को १ से ७वे भाव में।
: यानी पुर्णिमा को, सूर्य यदि पहले भाव में है तो चांद ७वे भाव में हो।
: इस प्रकार यदि चन्द्रमा , सूर्य से १-७ भाव में है तो शुक्ल पक्ष, ७-१२ में है तो कृष्ण पाक्ष
: यहां चन्द्र सूर्य से अष्टम भाव में है तो कृष्ण पक्ष
: द्वितीया या तृतीया तिथि
: अब नक्षत्र जानते हैं यह भी चन्द्र की स्थिति से संभव है
: चन्द्र जिस राशि में है, उस से पहली राशि संख्या को ३० से गुना करें व कुंडली में दिए चन्द्र के अंशों को गुणनफल में जोड़ें
: ३०*२ - ६०
६०+ १९ - ७९
: 30*2+19=79 degree
: इसे १३.३३ से भाग करें
: भागफल नक्षत्र संख्या है
: यानी ६ वा नक्षत्र, चतुर्थ चरण
: 5.92 degree
: .25 अंशों का एक चरण है
: अब वर्तमान आयु जानेंगे
: यह शनि की स्थिति से संभव है
: इसके लिए गोचर में शनि की स्थिति का ज्ञान आवश्यक है।
: शनि अब मकर राशि में है, कुंडली में कर्क राशि में है।
: शनि एक राशि में ढायी वर्ष रहता है।
: जातक की वर्तमान आयु १४-१५ वर्ष या ४४-४५ वर्ष है
: उपस्थित जातक की वय देखकर कथन करें।
: यह फलित नहीं है, कुछ जातक केवल लग्न कुंडली हाथ से लिख कर प्रस्तुत कर देते हैं। गणित से उन्हें प्रभावित करने के लिए यह ढंग उत्तम है
: आज़ इतना ही। आज्ञा दे। आप सभी का मंगल हो।
: Thank you sir
बय
44-45 नही समझ आया
उपस्थित जातक की वय का अर्थ क्या है सर जी
[ ३०+१५
जा:9,12,1976 time 7.24 am place Nagpur Maharashtra
[: जातक का सही जन्म विवरण यह है, अभी मिला है, जो जातक ने स्वयं भेजा है।
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: @ जातक जब ज्योतिष जिज्ञासा लेकर हमारे पास आते हैं तो बिना उनके बताए, हम यह बता दें कि जातक का प्रश्र क्या है।
: किसी के पास कोई दिव्य चक्षु नहीं है, सारा वैदिक ज्योतिष गणना पर आधारित है। विषय में जो दिया है, यदि आप वैदिक ज्योतिष का सामान्य ज्ञान रखते हैं तो यह कर सकते हैं।
: इस लिए मुल विषय से पहले कक्षा में वैदिक ज्योतिष के सिद्धांत आरंभ से बता रहे हैं।
: आज़ की कक्षा में, मैं आपको विषय से संबंधित एक जातक को चमत्कृत करने का एक आसान ढंग सीखाना चाहूंगा।
: निम्न लग्न कुंडली को ध्यान से देखें।
: आपकों इस कुंडली से, जातक का जन्म समय, मास, पक्ष, तिथि व आयु बतानी है।
: क्या यह संभव है?
: यह संभव है, कक्षा में आज़ यही सीखना है। साधारण गणना है।
: आपने कुंडली बनानी सीख ली है तो यह सूत्र भी सीख लेंगे।
: सबसे पहले मास ज्ञात करते हैं। यह सूर्य राशि से संभव है।
: सूर्य हर संक्रांति को राशि परिवर्तन करते हैं। यह अंग्रेजी मास की १५ से २० तारीख के मध्य होती है। अप्रैल मास में मेष राशि,(१) में प्रवेश करते हैं। यहां ८ वृश्चिक राशि में है। यानी लगभग नवंबर मध्य में इस राशि में आएं हैं। सूर्य २३ अंश पर है। यानी इस राशि में लगभग २३ दिन से है। जन्म मास दिसंबर है
: अभ्यास से जानें
: ८ से १० तारीख के बीच
: अब समय ज्ञात करते हैं। यह भी सूर्य की स्थिति से जानेंगे।
: सूर्योदय के समय, सूर्य लग्न भाव में स्थित होता है। हर लग्न में पिछले भाव में हों जाते हैं, यानी प्रथम से द्वादश भाव में।
: लग्न दो अंशों के लगभग है व सूर्य द्वादश भाव में।
: जन्म सुबह ७ से ८ के मध्य
: अब पक्ष जानते हैं। यह चन्द्र की स्थिति से जानेंगे।
: सूर्य चंद्र, अमावस्या को एक ही राशि में व पुर्णिमा को १ से ७वे भाव में।
: यानी पुर्णिमा को, सूर्य यदि पहले भाव में है तो चांद ७वे भाव में हो।
: इस प्रकार यदि चन्द्रमा , सूर्य से १-७ भाव में है तो शुक्ल पक्ष, ७-१२ में है तो कृष्ण पाक्ष
: यहां चन्द्र सूर्य से अष्टम भाव में है तो कृष्ण पक्ष
: द्वितीया या तृतीया तिथि
: अब नक्षत्र जानते हैं यह भी चन्द्र की स्थिति से संभव है
: चन्द्र जिस राशि में है, उस से पहली राशि संख्या को ३० से गुना करें व कुंडली में दिए चन्द्र के अंशों को गुणनफल में जोड़ें
: ३०*२ - ६०
६०+ १९ - ७९
: 30*2+19=79 degree
: इसे १३.३३ से भाग करें
: भागफल नक्षत्र संख्या है
: यानी ६ वा नक्षत्र, चतुर्थ चरण
: 5.92 degree
: .25 अंशों का एक चरण है
: अब वर्तमान आयु जानेंगे
: यह शनि की स्थिति से संभव है
: इसके लिए गोचर में शनि की स्थिति का ज्ञान आवश्यक है।
: शनि अब मकर राशि में है, कुंडली में कर्क राशि में है।
: शनि एक राशि में ढायी वर्ष रहता है।
: जातक की वर्तमान आयु १४-१५ वर्ष या ४४-४५ वर्ष है
: उपस्थित जातक की वय देखकर कथन करें।
: यह फलित नहीं है, कुछ जातक केवल लग्न कुंडली हाथ से लिख कर प्रस्तुत कर देते हैं। गणित से उन्हें प्रभावित करने के लिए यह ढंग उत्तम है
: आज़ इतना ही। आज्ञा दे। आप सभी का मंगल हो।
: Thank you sir
बय
44-45 नही समझ आया
उपस्थित जातक की वय का अर्थ क्या है सर जी
[ ३०+१५
जा:9,12,1976 time 7.24 am place Nagpur Maharashtra
[: जातक का सही जन्म विवरण यह है, अभी मिला है, जो जातक ने स्वयं भेजा है।
